आध्यात्मिक शक्ति से महावीर स्वामी बनने की कहानी: ‘पुरूरवा भील’ नाटक ने दिलों को छुआ

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पोरसा (समाचार):

भगवान चंद्रा प्रभु के मंदिर की वर्षगांठ समारोह पर पोरसा के पुराना थाना परिषद स्थित रंगमंच पर एक अद्भुत नाटक ‘पुरूरवा भील’ का मंचन किया गया। इस नाटक का उद्देश्य न केवल धार्मिक शिक्षाएँ देना था, बल्कि यह दर्शाने का भी था कि किस प्रकार एक साधारण इंसान अपनी गलतियों को सुधारकर महान व्यक्तित्व बन सकता है। नाटक को देखने के लिए जैन समाज के बंधु भारी संख्या में उपस्थित थे। तीन घंटे तक चलने वाला यह नाटक सभी दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गया।

नाटक में पुरूरवा भील का पात्र संजय जैन (नमकीन वालों) ने निभाया, जबकि उनकी पत्नी कालिका का किरदार किरण जैन ने निभाया। अन्य प्रमुख भूमिकाओं में पुजारी का किरदार मोनू जैन, शराबी लड़के का रोल पारस जैन और बैध जी का पात्र छमा जैन द्वारा निभाया गया। नाटक में बताया गया कि पुरूरवा भील एक शिकार करने वाला व्यक्ति था, जो पूजा-पाठ नहीं करता था और केवल शिकार करके ही अपने परिवार का भरण-पोषण करता था।

एक दिन वह लगातार शिकार नहीं कर पाया, जिससे उसके परिवार को भूख का सामना करना पड़ा। इसके बाद उसकी पत्नी कालिका ने एक उपाय सुझाया और कहा कि सामने की आँखें दिख रही हैं, वह शिकार हो सकता है। पुरूरवा भील ने उसी दिशा में बाण चलाया, लेकिन वह बाण एक मुनि को लग गया। मुनि क्रोधित हो गए और उन्होंने पुरूरवा भील को शाप दिया। फिर, मुनि से मिलकर भील ने माफी मांगी और मुनि ने उसे एक मंत्र जाप करने का उपाय बताया।

मंत्र जाप करने के बाद पुरूरवा भील का पाप धुल गया और मुनि ने उसे अगले जन्म में महावीर स्वामी के रूप में जन्म लेने का आशीर्वाद दिया। नाटक ने यह संदेश दिया कि सही मार्ग पर चलकर कोई भी व्यक्ति आत्मा की शुद्धि कर सकता है और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।

इस आयोजन की व्यवस्था में महावीर जैन, पवन जैन, मोनू जैन, मुन्नालाल जैन, अभिषेक जैन, लाल सिंह, हर्ष जैन आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस नाटक के माध्यम से भगवान महावीर स्वामी की जीवन यात्रा और उनकी उपदेशों को भी बड़े प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया।


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