“बंद दरवाज़े, बदबूदार कमरे और टूटी दीवारें: शहडोल की बिजौरी पंचायत में जवाबदेही गायब!”

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✍️ पंचायत भवन बना जर्जर खंडहर, जनता बेबस — व्यवस्था लापता!

📍 स्थान: ग्राम पंचायत बिजौरी, जनपद पंचायत सोहागपुर, जिला शहडोल (मध्य प्रदेश)
🧍‍♀️ सरपंच: श्रीमती गीता बैगा
🧍‍♂️ पंचायत सचिव: श्री अटल बिहारी यादव
📏 जिला मुख्यालय से दूरी: लगभग 18 किलोमीटर




📹 सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पंचायत भवन का वीडियो, ग्रामीण बोले – ‘भवन नहीं भूत बंगला!’

शहडोल जिले की ग्राम पंचायत बिजौरी की हालिया स्थिति ने एक बार फिर पंचायत स्तर पर गंभीर प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है। पंचायत भवन की जर्जर स्थिति, बंद दरवाज़े, और अव्यवस्थित परिसर को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया है।

इस वीडियो में स्पष्ट दिखाया गया है कि पंचायत भवन नियमित रूप से नहीं खुलता, जनसुनवाई जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों में भी भवन तालाबंद रहता है। स्थिति ऐसी है कि ग्रामीण अब पंचायत में अपनी समस्याएं रखने की जगह खोजते फिर रहे हैं।




🏚️ भवन की अंदरूनी तस्वीर: व्यवस्था की सड़ी हुई हालत

पंचायत भवन में तीन कमरे हैं, और तीनों की स्थिति किसी उजड़े खंडहर से कम नहीं है:

🔹 पहला कमरा:

गंदी सीमेंट की पुरानी बोरियां पड़ी हैं, जिनसे तीव्र बदबू आती है।

छत की सीलिंग उखड़ी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि दो साल पहले इसकी मरम्मत की स्वीकृति मिली थी, लेकिन आज तक कार्य नहीं हुआ।


🔹 दूसरा कमरा:

दीवारें उखड़ी हुई, खिड़कियां टूटी हुई, और पंखा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त।

फर्श और दीवारों पर गंदगी की परतें जमा हैं। यह कमरा किसी गौशाला जैसा प्रतीत होता है।

कुर्सियां-टेबल्स अव्यवस्थित और धूल से अटी पड़ी हैं।


🔹 तीसरा कमरा:

यह हमेशा बंद रहता है। गांव वालों ने बताया कि उन्होंने कभी यह कमरा खुलते नहीं देखा है।

यह कमरा किस उद्देश्य से है? क्या इसमें कोई जरूरी दस्तावेज या उपकरण रखे गए हैं? – कोई नहीं जानता।





🚫 पंचायत की मुख्य समस्याएं — ग्रामीणों की जुबानी:

पंचायत भवन कभी नियमित समय पर नहीं खुलता।

जनसुनवाई (हर मंगलवार/बुधवार) कभी आयोजित नहीं होती। ग्रामीण अब तक एक बार भी सुनवाई होते नहीं देख सके हैं।

भवन के बाहर रेत का ढेर जमा है, जिससे आवागमन में बाधा होती है और गंदगी फैलती है।

बिजली और पानी की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है।





🧑‍🤝‍🧑 ग्रामीणों की मांगें — अब और बर्दाश्त नहीं!

1. पंचायत भवन को नियमित रूप से खोला जाए और उसमें साफ-सफाई अनिवार्य की जाए।


2. सभी कमरों की मरम्मत कार्य जल्द पूरा किया जाए — खासकर पंखे, खिड़की, टेबल और दीवारें।


3. पंचायत सूचना पटल पर सभी योजनाओं, खर्चों और सूचनाओं का नियमित प्रदर्शन किया जाए।


4. जनसुनवाई सप्ताह में कम से कम एक बार अनिवार्य रूप से आयोजित हो।


5. पंचायत में बिजली और पीने के पानी की व्यवस्था स्थायी रूप से की जाए।






📣 प्रशासन से सवाल: क्या जवाबदेही सिर्फ कागज़ों में सिमट गई है?

ग्राम पंचायत बिजौरी की यह हालत एक अपवाद नहीं, बल्कि प्रदेश में कई जगहों पर पंचायत व्यवस्था की हकीकत का नमूना है। पंचायत प्रतिनिधि चुनाव तो लड़ते हैं, लेकिन जनता की आवाज़ सुनने का वक्त नहीं निकालते।




पंचायत भवन सिर्फ एक इमारत नहीं होता — वह गांव की लोकतांत्रिक आत्मा होता है।जब उस आत्मा को ही ताले में बंद कर दिया जाए, तो जनता कहां जाए?अब समय आ गया है कि प्रशासन, जनपद अधिकारी, और जिला कलेक्टर इस मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लें, निरीक्षण करें और जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब मांगे।नहीं तो यह मौन सिर्फ पंचायत नहीं, लोकतंत्र के प्रति भी अन्याय होगा।




जानिए कानूनी प्रावधान !

पंचायती राज व्यवस्था भारत में स्थानीय स्वशासन की प्रणाली है, जिसे संविधान के 73वें संशोधन (1992) के तहत मान्यता दी गई। इससे संबंधित कानूनी प्रावधानों को “पंचायती राज अधिनियम” के रूप में हर राज्य ने अपने-अपने कानूनों के माध्यम से लागू किया है।




🏛️ मध्यप्रदेश पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993

👉 यही अधिनियम राज्य में ग्राम पंचायतों की शक्तियों, कर्तव्यों, अधिकारों और जवाबदेही का निर्धारण करता है।




📘 पंचायती राज कानून क्या कहता है – विशेष बिंदु (ग्राम पंचायत स्तर)

✅ 1. पंचायत भवन का नियमित संचालन

पंचायत भवन प्रतिदिन कार्य दिवसों पर खुला रहना चाहिए।

सरपंच और सचिव को पंचायत में नियमित रूप से उपलब्ध रहना आवश्यक है।

जनता के लिए सुनवाई की व्यवस्था सुनिश्चित करना पंचायत का कर्तव्य है।


✅ 2. जनसुनवाई एवं ग्राम सभा

प्रत्येक पंचायत में प्रति माह कम से कम एक ग्राम सभा बैठक होनी चाहिए।

पंचायत को हर मंगलवार/बुधवार या शासन द्वारा तय दिवस पर जनसुनवाई आयोजित करनी होती है।


✅ 3. सूचना का अधिकार और पारदर्शिता

पंचायत को अपने पंचायत भवन में सूचना पटल पर सभी विकास योजनाएं, व्यय, आय और निर्णय प्रदर्शित करने होते हैं।

ग्रामीणों को पंचायत से जुड़ी कोई भी जानकारी मांगने का अधिकार है।


✅ 4. भवन रख-रखाव और मूलभूत सुविधाएं

पंचायत भवन में बिजली, पानी, शौचालय, बैठने की व्यवस्था जैसी सुविधाओं का होना अनिवार्य है।

भवन की साफ-सफाई, मरम्मत और संचालन की जिम्मेदारी पंचायत प्रतिनिधियों और सचिव की होती है।


✅ 5. जवाबदेही और शिकायत निवारण

यदि सरपंच/सचिव कर्तव्यपालन नहीं करते हैं, तो ग्रामीण जनपद CEO, जिला पंचायत या कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

गंभीर लापरवाही पर सरपंच को निलंबित या पद से हटाया भी जा सकता है।




पंचायती राज कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि:

पंचायत भवन हर कार्य दिवस पर खुलना चाहिए।

जनसुनवाई, सूचना प्रदर्शन और ग्रामीण सहभागिता अधिकार नहीं, अनिवार्यता है।

यदि भवन बंद है, साफ-सफाई नहीं होती, सूचना नहीं दी जाती या जनसुनवाई नहीं होती — तो यह कानूनी उल्लंघन है।





📢 क्या करें ग्रामीण?

1. जनपद CEO, जिला पंचायत या कलेक्टर को लिखित शिकायत करें।


2. शिकायत में फोटो/वीडियो सबूत, तारीख और विवरण जरूर जोड़ें।


3. चाहें तो RTI (सूचना का अधिकार) के तहत जानकारी मांगें:

कितने दिनों में पंचायत भवन खुला?

कितनी जनसुनवाई हुई?

भवन मरम्मत हेतु कब फंड आया और खर्च कैसे हुआ?






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