मुरैना (मध्य प्रदेश)। पत्रकार विनय की ग्राउंड रिपोर्ट।
चंबल घाटी, जो एक समय बीहड़ों और बंदूकों के लिए जानी जाती थी, अब शिक्षा की रोशनी से जगमगा रही है। मुरैना जिले के पोरसा विकासखंड के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले आर्यन सिकरवार ने मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) की 10वीं बोर्ड परीक्षा 2025 में 98.4% अंक अर्जित कर प्रदेश में 9वीं रैंक प्राप्त कर ली है।
आर्यन की यह सफलता केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि चंबल क्षेत्र की बदलती सोच और उभरते शैक्षिक परिदृश्य का प्रमाण है।
कठिन परिश्रम और स्पष्ट लक्ष्य का परिणाम
आर्यन ने अपनी संपूर्ण शिक्षा बिना किसी निजी कोचिंग के Dron Academy से प्राप्त की। औपचारिक नामांकन भले ही शासकीय विद्यालय तरसना में रहा, लेकिन अकादमी के नियमित छात्र के रूप में उन्होंने पाँच वर्षों तक पढ़ाई की। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण और अनुशासन प्रशंसनीय रहा है।
छात्र आर्यन सिकरवार ने कहा:
“मैं अपनी सफलता का श्रेय सबसे पहले अपने माता-पिता और Dron Academy के शिक्षकों को देता हूँ। उन्होंने हर कदम पर मुझे मार्गदर्शन दिया और मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया। मैं हर दिन नियमित समय पर पढ़ाई करता था और कठिन विषयों को समझने में खुद को चुनौती देता था। अब मेरा लक्ष्य आगे चलकर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कुछ बड़ा करने का है।”
पिता श्री संजय सिंह सिकरवार ने कहा:
“हमें गर्व है कि हमारे बेटे ने राज्य में हमारे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। हमने उसे हमेशा पढ़ाई के लिए स्वतंत्र माहौल दिया और उसकी मेहनत में कभी कोई बाधा नहीं बनने दी। Dron Academy और उसके शिक्षकों का आभार, जिन्होंने उसके सपनों को दिशा दी। यह दिन हमारे जीवन का सबसे सुखद दिन है।”
Dron Academy के शिक्षक राघवेंद्र सिंह ने बताया:
“आर्यन जैसा छात्र किसी भी शिक्षक के लिए गौरव की बात है। उसने हर विषय में गहराई से अध्ययन किया और खुद को सीमाओं में नहीं बांधा। यह केवल एक परिणाम नहीं, बल्कि चंबल क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत है।”
शिक्षा से बदलती चंबल की तस्वीर
एक दौर था जब चंबल का नाम आते ही बीहड़ों और दस्यु गाथाओं की चर्चा होती थी। लेकिन अब आर्यन जैसे होनहार छात्र इस क्षेत्र की पहचान को बदल रहे हैं। शिक्षा का यह नया सूरज चंबल के कोनों तक पहुँच रहा है और यह साबित कर रहा है कि अब यहां भी केवल बंदूक नहीं, कलम और किताबों की क्रांति हो रही है।
यह सफलता उस उम्मीद की गूंज है, जो कहती है — गांवों से भी निकलते हैं गगनचुंबी सपने।