सीट 11A: मौत के मुँह में जो बनी ज़िंदगी की आख़िरी सीढ़ी!

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सीट 11A: मौत के मुँह में जो बनी ज़िंदगी की आख़िरी सीढ़ी!

12 जून 2025 की सुबह, दिल्ली एयरपोर्ट से टेकऑफ करती एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171… सब कुछ सामान्य था, आसमान साफ़ था, यात्रियों के चेहरे पर लंबी उड़ान की थकान नहीं, उत्साह था। लेकिन किसी को क्या पता था कि उड़ान के महज़ 42 सेकंड बाद सब कुछ राख और चीखों में बदल जाएगा।

उसी प्लेन में बैठे थे रमेश कुमार विश्वास, सीट नंबर 11A पर। ये सीट आम तौर पर लोग छोड़ देते हैं — दरवाज़े के पास होती है, थोड़ी असहज भी। लेकिन उस दिन ये सीट किसी चमत्कार से कम साबित नहीं हुई।

जैसे ही धमाका हुआ, विमान का बैलेंस बिगड़ा, पूरे कैबिन में अफरा-तफरी मच गई। लेकिन 11A पर बैठे रमेश की किस्मत कुछ और ही लिखवा कर लायी थी। दरवाज़ा, जो आमतौर पर बस चढ़ने-उतरने के काम आता है, हादसे में ढीला हो गया। प्लेन के झटके से रमेश की सीट उसी दिशा में खिसकी — सीट बेल्ट ने उन्हें थामा, लेकिन दरवाज़े की दरार ने उन्हें बाहर धकेल दिया। वो फिसलना, ज़िंदगी की ओर था — मौत से पीछे की ओर नहीं।

कुछ देर बाद फायर टीम को विमान के मलबे से बाहर एक घायल युवक मिला — होश में नहीं था, लेकिन ज़िंदा था। और तभी से वो सीट बन गई “लाइफसेवर 11A”।

क्या आपने कभी सोचा है कि विमान में कौन-कौन से दरवाज़े आपकी ज़िंदगी बचा सकते हैं?

🔹 Forward Exit — सबसे आगे का दरवाज़ा, ठीक वहीं जहां 11A होती है
🔹 Aft Exit — पीछे का दरवाज़ा, इकोनॉमी क्लास के यात्रियों के लिए
🔹 Over-wing Exit — पंखों के ऊपर, जहाँ से तेज़ी से निकलने का विकल्प होता है

हर दरवाज़ा एक मौका होता है, अगर आप जानते हैं कि वक्त पर कैसे इस्तेमाल करना है।

इस हादसे ने एक सबक दिया है — कभी-कभी, ज़िंदगी किसी कोने की सीट में छुपी होती है। अगली बार जब आप फ्लाइट बुक करें, तो शायद आप भी 11A को नए नज़रिए से देखें।


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