पत्रकार बालेंद्र तिवारी

*अजब मऊगंज में गजब व्यवस्था!*
*मऊगंज राजस्व न्यायालय में अधिवक्ता धरने पर बैठे, राजस्व न्यायालय में भ्रष्ट आचरण का आरोप!*
*न्याय के मंदिर में अन्याय!*
*दलालो के माध्यम से सुबह बगलो में सजती है न्याय की मंडी!*
मऊगंज जिले के वृत्त सीतापुर में तैनात नायब तहसीलदार और न्यायालय रीडर पर वरिष्ठ अधिवक्ता रावेंद्र तिवारी ने गंभीर आरोप लगाए हैं। अधिवक्ता ने सीतापुर न्यायालय परिसर के गेट के सामने धरना देते हुए जिला अधिवक्ता संघ अध्यक्ष एवं सचिव को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें संबंधित अधिकारियों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग की गई है।
*फाइलें छिपाने के आरोप!*
वरिष्ठ अधिवक्ता रावेंद्र तिवारी के अनुसार 23 जुलाई को शाम 6:00 बजे तक वे अपने वाद की फाइल मांगते रहे, लेकिन नायब तहसीलदार और रीडर ने ‘फाइल नहीं है’ कहकर उन्हें टाल दिया। इसके बाद बैक डेट में बिना विधिक सूचना के प्रकरण में आदेश पारित कर अनुविभागीय अधिकारी को प्रेषित कर दिया गया, जो स्पष्ट रूप से विधि विरुद्ध है।
*मऊगंज राजस्व न्यायालय ने अब न्याय नहीं, अब चढ़ावे का शासन!*
राजस्व न्यायालयों में कार्य प्रणाली की पोल खोलते हुए अधिवक्ताओं ने कहा कि कई मामलों में जानबूझकर फाइलें रोकी जाती हैं ताकि पहले पक्षकारों से “संपर्क” किया जा सके। वास्तविकता यह है कि न्याय की कुर्सी पर बैठे अधिकारी चुने हुए लोगों से सलाह लेकर आदेश पारित कर रहे हैं — वो लोग जो दिन-रात अधिकारियों के आवास पर हाज़िरी लगाते हैं।
*फाइलें गायब, पेशी नहीं मिलती!*
स्थिति इतनी खराब है कि फरियादी और अधिवक्ता पेशी की तारीख तक देखने को फाइल नहीं पाते, जब तक “चढ़ावा” न दिया जाए। कई बार अनुविभागीय कार्यालय एवं तहसील कार्यालय से फाइलें ही गायब कर दी जाती हैं, जिससे पीड़ितों को उच्च न्यायालय की शरण में जाना पड़ता है।
*राजस्व महाअभियान या आर्थिक उत्पीड़न?*
राज्य सरकार भले ही “राजस्व महाअभियान” चला रही हो, लेकिन मऊगंज अनुविभागीय कार्यलय और तहसील परिसर में आर्थिक अभियान अधिक सक्रिय नजर आ रहा है। न्यायालय परिसर में भ्रष्टाचार की इस खुली कहानी को लेकर अब अधिवक्ता समुदाय ही आंदोलनरत है।
*ज्ञापन सौंप, निंदा प्रस्ताव की मांग!*
वरिष्ठ अधिवक्ता रावेंद्र तिवारी द्वारा 24 जुलाई को जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष और सचिव को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें वृत्त सीतापुर के नायब तहसीलदार एवं रीडर के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह आचरण न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ है और इससे जनता का भरोसा पूरी तरह टूट रहा है।
*अब जिला कलेक्टर से अपेक्षा है हस्तक्षेप की!*
इतने संगीन आरोपों और धरने जैसी स्थिति के बाद अब जिला कलेक्टर मऊगंज को इस पूरे मामले का संज्ञान लेना चाहिए, ताकि न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता बहाल हो और दोषी अधिकारियों पर उचित कार्रवाई हो सके।
