ऑपरेशन शिकंजा के दावों के बीच गांव-गांव हो रही शराब पैकारी,

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ऑपरेशन शिकंजा के दावों के बीच गांव-गांव हो रही शराब पैकारी,संसारपुर कांड ने कटनी पुलिस की खोली पोल, बीते 15 दिनों बाद भी मंचू असाटी को गिरफ्तार नहीं कर सकी पुलिस


पत्रकार अनुरुद्ध सोनी बहोरीबंद जिला कटनी

कटनी-(यस न्यूज अखबार) जिले में पुलिस द्वारा अवैध शराब पर नकेल कसने के लिए चलाए जा रहे “ऑपरेशन शिकंजा” अभियान की सच्चाई अब उजागर होती दिख रही है। पुलिस अधीक्षक अभिनय विश्वकर्मा के निर्देश पर इस अभियान के तहत हाल ही में 72 प्रकरण दर्ज कर 72 आरोपियों को गिरफ्तार करने और 328 लीटर से अधिक अवैध शराब जब्त करने का दावा किया गया था। लेकिन गांव-गांव हो रही शराब पैकारी और संसारपुर में हुई वारदात ने यह साबित कर दिया कि पुलिस के दावों और जमीनी हकीकत के बीच गहरी खाई है।
ग्रामीणों पर गाड़ी चढ़ाई,आधा दर्जन लोग हुए थे घायल–
स्लीमनाबाद थाना के ग्राम संसारपुर में 21 अगस्त दिन गुरुवार को शराब ठेकेदार मंचू असाटी अपने गुर्गों नीलेश जैसवाल और पिंटू कुशवाहा के साथ पैकारी के लिए शराब लेकर पहुंचा था। ग्रामीणों ने जब इसका विरोध किया और गाड़ी रोकने की कोशिश की तो विवाद इतना बढ़ गया कि उसके गुर्गों ने गाड़ी ग्रामीणों पर चढ़ा दी थी । उक्त हमले में आधा दर्जन ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, लेकिन गिरफ्तारी कब?–
घटना के बाद पुलिस ने मंचू असाटी, नीलेश जैसवाल और पिंटू कुशवाहा पर हत्या के प्रयास और आबकारी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया था। सवाल यह है कि क्या पुलिस इनकी शीघ्र गिरफ्तारी करेगी, या आरोपी कागजों में फरार रहकर अपना अवैध कारोबार जारी रखेंगे,मंचु असाटी की गिरफ़्तारी न होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश हैं।
स्लीमनाबाद थाना का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड संदिग्ध–
संसारपुर कांड के बाद थाना पुलिस की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। यह वारदात स्लीमनाबाद थाना क्षेत्र की है वही थाना जहाँ पुलिस की नाक के नीचे लंबे समय तक जुआफड़ संचालित होता रहा और जब आईजी की टीम ने दबिश दी तो हड़कंप मच गया। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि थाना पुलिस अवैध कारोबारियों की हिफाजत कर रही है या कार्रवाई कर रही है?
ऑपरेशन शिकंजा –सिर्फ दिखावा?–
पुलिस की कार्रवाई को लेकर अब आमजन में अविश्वास गहराता जा रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि जब पुलिस ऑपरेशन शिकंजा के नाम पर अवैध शराब पर नकेल कसने का दावा कर रही है, तो फिर ठेकेदार खुलेआम गांव-गांव पैकारी कैसे करवा रहे हैं? ग्रामीणों को कुचलने तक की वारदात ने पुलिस की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं एवं आवैध पैकारिया पूर्व की तरह गाँव गाँव संचालित हैं।
अब पूरा मामला पुलिस की कार्रवाई की नीयत और जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है,क्या वाकई “ऑपरेशन शिकंजा” जमीनी स्तर पर असरदार है, या यह सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रह गया है?
इस सम्बन्ध में एसडीओपी आकांक्षा चतुर्वेदी का कहना हैं कि लगातार फरार आरोपी की गिरफ़्तारी को लेकर प्रयास किये जा रहे हैं, गाँव में पैकारियां संचालित होने की सूचना जैसे ही प्राप्त होती है उनपर तत्काल कार्यवाही की जा रही हैं।


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