रीवा ब्यूरो चीफ शुभम तिवारी खास रिपोर्ट
मऊगंज में लोक निर्माण विभाग का बड़ा खेल! — 5 किलोमीटर के काम का 7 किलोमीटर का टेंडर — डेढ़ करोड़ का फर्जीवाड़ा बेनकाब!
मऊगंज जिले में लोक निर्माण विभाग का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। विभाग के द्वारा जारी किया गया पत्र खुद इस बात की तस्दीक कर रहा है कि अब विभाग जनता को गुमराह करने में माहिर हो चुका है।
पहले 7 किलोमीटर की निविदा निकाली गई, जबकि 2 किलोमीटर का कार्य पहले ही पूरा हो चुका था। सवाल उठता है — जब काम पूरा था तो फिर 7 किलोमीटर का नया टेंडर क्यों?
बिजली विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक तीन एस्टीमेट जारी किए गए —
पहला 31 जनवरी 2023 को ₹3.32 करोड़ का पहला एस्टीमेट (क्रमांक 710399)
दूसरा 20 अगस्त 2023 को ₹98.84 लाख का दूसरा एस्टीमेट (2 किमी का कार्य पूरा)
तीसरा 2 जनवरी 2025 को ₹2.24 करोड़ का तीसरा एस्टीमेट (शेष 5 किमी के लिए)
अब बड़ा सवाल — जब बिजली विभाग ने ₹2.24 करोड़ का ही एस्टीमेट दिया, तो लोक निर्माण विभाग ने ₹3.82 करोड़ की निविदा किस आधार पर जारी कर दी?

और यह मामला यहीं खत्म नहीं होताअनुविभागीय अधिकारी (लोक निर्माण विभाग) ने 16 दिसंबर 2024 को पत्र जारी कर साफ लिखा था कि चाक मोड़ से विधायक रेस्ट हाउस तक का कार्य पूर्ण हो चुका है, यानी 2 किलोमीटर का काम समाप्त।फिर भी विभाग ने 11 जुलाई 2025 को निविदा क्रमांक D-23/25/26 के तहत 7 किलोमीटर का टेंडर निकाल दिया!क्या विभाग ने बिजली विभाग के एस्टीमेट को दरकिनार कर फर्जी एस्टीमेट तैयार किया?क्या डेढ़ करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि की बंदरबांट की तैयारी थी?और अगर नहीं — तो फिर इतने बड़े अंतर का औचित्य कौन बताएगा?
यह पूरा मामला अब सीधे तौर पर सुनियोजित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।एक तरफ बिजली विभाग के तीन स्पष्ट एस्टीमेट मौजूद हैं, दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग बिना अनुमति के करोड़ों का टेंडर जारी कर रहा है।
अब सीधा सवाल —
क्या विभाग ने फर्जी कागजातों के आधार पर टेंडर जारी किया?जब बिजली विभाग का एस्टीमेट ही नहीं मिला, तो निविदा कैसे निकली?और डेढ़ करोड़ का यह “अंतर” आखिर गया कहां? सच्चाई यह है कि विभाग के तर्क अब खुद उसके खिलाफ सबूत बनते जा रहे हैं।जो पत्र जनता को गुमराह करने के लिए जारी किया गया था, वही अब भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है।