**अमृत सरोवर तालाब: कागजों में ही सीमित, भ्रष्टाचार का नमूना**
**रसमोहनी:** ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा अमृत सरोवर तालाब बनाने का प्रयास केवल कागजों तक सीमित रह गया है। यह प्रयास ज्यादातर पैसों के बंदरबांट तक ही सीमित है। अधिकांश तालाब कच्ची जमीन पर बना दिए गए हैं, जिससे पानी का भराव नहीं हो पा रहा है।
जनपद पंचायत गोहपारू की ग्राम पंचायत हरी में अमृत सरोवर तालाब का एक उदाहरण देखा जा सकता है। यहां के ग्रामीणों के अनुसार, अमृत सरोवर तालाब की लागत 19 लाख 81 हजार रुपये है, लेकिन सरपंच, सचिव और इंजीनियर द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। जेसीबी और ट्रैक्टर के माध्यम से तालाब का निर्माण कागजों पर पूरा कर दिया गया, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
ग्रामीणों का कहना है कि तालाब का निर्माण ऐसे बड़े गड्ढों में किया गया है कि जानवर पानी पीने के लिए उतर नहीं सकते। इसके अलावा, तालाब जंगल के किनारे बना दिया गया है, जिससे ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरपंच और सचिव की मनमानी से ग्राम पंचायत के नागरिक परेशान हैं।
**1 साल में ही आने लगी दरारें**
अमृत सरोवर तालाब के मेड़ निर्माण में कई जगह दरारें आ गई हैं, जो भ्रष्टाचार की पोल खोल रही हैं। 1 साल के अंदर ही तालाब की दीवारों में दरारें देखी जा सकती हैं, जो निर्माण की खराब गुणवत्ता को दर्शाती हैं।
ग्रामीणों ने इन मुद्दों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है और तालाब के निर्माण में हुई अनियमितताओं की जांच की मांग की है। इस तरह के भ्रष्टाचार से ग्रामीणों का विकास प्रभावित हो रहा है और सरकार की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह जाती हैं।
