लव कुश की जन्मनगरी सीतारपटन में ,15 से लगेगी मड़ई

इस न्यूज़ को शेयर करे

लव कुश की जन्मनगरी सीतारपटन में ,15 से लगेगी मड़ई

जिला ब्यूरो संतोष पटेल

मंडला जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर अंजनिया के पास सुरपन नदी के तट पर स्थित सीतारपटन नामक गांव में त्रिवसीय मड़ई का आगाज कार्तिक मास की पूर्णिमा 15 नवंबर से प्रारंभ होकर 17 नवंबर तक चलेगा l ऐसे में हम बात करें तो स्थानीय जनों के अनुसार सीता रपटन लव कुश की जन्मनगरी मानी जाती है l जहाँ भगवान लव कुश का जन्म हुआ था l और यही महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की थी l बताया जाता है कि जब भगवान श्री राम ने प्रजा के कहने पर माता सीता को प्रजा से निष्कासित कर दिया तो सीता जी नें वनवास के दौरान वाल्मीकि ऋषि जी के आश्रम में ही शरण ली थी l और यही सीता जी नें दो पुत्र लव और कुश को जन्म दिया था l यहां चट्टाननुमा पत्थरों को बजाने से नगाड़े जैसी मधुर आवाज सुनाई देती है l लोगों का मानना है कि ये नगाड़े ही थे जो अब पत्थर के स्वरूप में नजर आते हैं l इन नगाड़ो को लव कुश के जन्म में बजाए जाने का दावा भी किया जाता है l
सीतारपटन गांव कैसे पड़ा
वनवास के दौरान ज़ब माता सीता जी सुरपन नदी से पानी लेकर वाल्मीकि आश्रम आ रही थी, तभी चट्टाननुमा पत्थरों से फिसलकर गिर गई थी l उसी समय से इस स्थान को सीतारपटन कहे जाने लगा l
अनजान वृक्ष भी यही
यहां दो ऐसे पेड़ आमने सामने लगे है जो अनजान पेड़ के नाम से पहचाने जाते हैं l जिसमें एक पेड़ के नीचे सीता जी की कुटिया बनी होना बाताया जाता है l जो एक छोटी गुफा जैसे है l वहीं दूसरे पेड़ में तीन बार पतझड़ आता है l इस पेड़ की पहचान के लिए बड़े-बड़े वनस्पति विशेषज्ञो नें काफी रिसर्च किए लेकिन इस पेड़ का नाम जानने में कामयाबी हाथ नहीं लगी l कहां जाता है इसी पेड़ के नीचे बैठकर वाल्मीकि ऋषि ने रामायण की रचना की थी l
मड़ई में जरूरी सुविधाएं रहती है नदारद
हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को तीन दिवसीय मेले का आयोजन यहाँ किया जाता है l मेले में मंडला सहित जबलपुर, रायपुर, छत्तीसगढ़, कवर्धा,के अलावा अन्य जगह से व्यापारी पहुंचते हैं l जहां श्रद्धालुओं व सैलानियों के लिए किसी भी प्रकार की यहां सुविधा उपलब्ध नहीं रहती है l पर्यटन स्थल के साथ इस धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का यह स्थान जिला प्रशासन की अपेक्षा और देख रेख के अभाव में इस महत्वपूर्ण स्थान का समुचित विकास नहीं हो पाया है l और वही सिर्फ यहां प्रतिवर्ष ग्राम पंचायत जगनाथर मड़ई नीलाम कर आय अर्जित करती है l परंतु मेले और मंदिर में प्रकाश, पेयजल,के अलावा अन्य समस्याओं का टोटा यहां बने रहते देखा जाता है l
रामगमन पथ में शामिल किया गया है सीतारपटन गांव
हालांकि देखा जाए तो अभी कुछ माह पहले ही लव कुश की जन्म नगरी सीतारपटन को राम वन गमन पथ में पुरातत्व विभाग के द्वारा शामिल किया गया हैl जिसमें जल्द ही यहां मंदिर का नक्शा बदला जाएगा l स्थानीय पंडित रामगोपाल शास्त्री बताते हैं कि
राम वन गमन पथ से आशय भगवान राम की वनवास के दौरान तय किए गए मार्ग पर बनाया जा रहा है जो हिंदू धर्म में बहुत पूजनीय है, और इस मार्ग पर कई प्रमुख घटनाएं घटी है,, जिसमें इस मार्ग का निर्माण कई राज्यों में किया जा रहा है l मध्य प्रदेश में भी 1450 किलोमीटर लंबा मार्ग यहां बनाया जाएगा l
स्थानीय कलाकर मान्या आर्ट यहां मंदिर में मूर्तियों को पेंटिंग कर दे रही अंतिम रूप
सीतारपटन निवासी मान्या पांडे के द्वारा अपने हाथो से यहां मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं को रंग रोहन कर अंतिम रूप दे रही है l जो गांव के लिए सराहनीय है l मंदिर अंदर जाने से पहले ही उनके द्वारा दीवार में अद्भुत ढंग से i love सीतारपटन लिखा गया है जो लोगों को खूब भा रहा है l


इस न्यूज़ को शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *