यस न्यूज पोरसा (विनय मेहरा की रिपोर्ट)
पोरसा मुक्तिधाम महाकाल मंदिर पर आज एक ऐतिहासिक और पावन अवसर का आयोजन हुआ, जब कन्या जन्म महोत्सव के रूप में श्रद्धा और आस्था का अनमोल पर्व मनाया गया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से विशेष था, बल्कि समाज सेवा और सामूहिक समृद्धि की भावना का भी प्रतीक बना।
डॉ. अनिल गुप्ता के मार्गदर्शन में और किर्रायंच निवासी श्रीमती रितु चौहान और रामनरेश जी द्वारा महाकाल के चरणों में पिछले पांच सोमवारों तक किया गया अभिषेक आज अपने पूरे यौवन पर आया। सात वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, भगवान महाकाल की असीम कृपा से कन्या का जन्म हुआ, जो न केवल परिवार के लिए बल्कि समस्त समाज के लिए एक आशीर्वाद और सुख का प्रतीक बन गया।

धार्मिक और सामाजिक उत्सव का सुंदर संगम
कन्या जन्म महोत्सव की शुरुआत बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से महाकाल की पूजा अर्चना से हुई। मंदिर परिसर में संजीवनी सी आस्था और उल्लास का माहौल था। सर्वप्रथम, पवित्र वेदी पर कन्याओं की पूजा की गई, और उन्हें भगवान महाकाल के आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया गया। इस दौरान सभी कन्याओं का वजन किया गया, उन्हें तिलक करके आशीर्वाद दिया गया और उनके सुखमय जीवन की कामना की गई।
इसके बाद, आयोजन में उपस्थित संजय अग्रवाल, महेश पेंगोरिया, नरेंद्र राठौर, सुरेंद्र जाटव और महेंद्र बाल्मिक ने एक अद्भुत व्यवस्था की। उन्होंने न केवल कन्याओं को भोजन कराकर उनका सम्मान बढ़ाया, बल्कि उन्हें दक्षिणा और आशीर्वाद देकर विदा भी किया। इस आयोजन में शामिल सभी लोग न केवल धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत थे, बल्कि समाज की सेवा और कल्याण में भी अपनी भागीदारी निभाने के लिए समर्पित थे।

समाज सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका
यह आयोजन महज एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि समाज सेवा की अद्वितीय मिसाल पेश करता है। जहां एक ओर भगवान महाकाल की पूजा से धर्म का पालन हुआ, वहीं दूसरी ओर आयोजन के माध्यम से समाज में सकारात्मकता और सहयोग की भावना भी प्रबल हुई। सभी आयोजकगण ने यह सुनिश्चित किया कि कन्याओं को न केवल धार्मिक आशीर्वाद मिले, बल्कि उनके जीवन में खुशी और समृद्धि का संचार हो। यह आयोजन समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि धर्म और समाज सेवा का मिलाजुला रूप ही सच्ची समाज सेवा है।
जय महाकाल – आस्था, सेवा और समृद्धि का प्रतीक
आखिरकार, इस महापर्व का समापन हुआ और सभी ने एक साथ भगवान महाकाल के जयकारे लगाए। इस आयोजन ने न केवल महाकाल के प्रति आस्था को और प्रगाढ़ किया, बल्कि समाज में सहयोग, भाईचारे और समृद्धि की नई लहर भी पैदा की। यह दिन पोरसा मुक्तिधाम महाकाल मंदिर के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा, क्योंकि यह न केवल धार्मिक महत्व का था, बल्कि सामाजिक परिवर्तन और सेवा का भी जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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