"पुलिस प्रशासन और पत्रकारों की सक्रियता से अवैध खनन का खुलासा, कार्रवाई में जुटे सभी दल" - YES NEWS

“पुलिस प्रशासन और पत्रकारों की सक्रियता से अवैध खनन का खुलासा, कार्रवाई में जुटे सभी दल”

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शहडोल।


हाल ही में एक घटना ने पुलिस प्रशासन और पत्रकारिता की तत्परता को उजागर करते हुए एक अहम मुद्दे को सामने लाया। इस घटनाक्रम में जहां पुलिस प्रशासन ने अपनी सक्रियता से अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, वहीं पत्रकारों ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए मामले को सार्वजनिक किया। यह घटना पुलिस प्रशासन, सरकारी अधिकारियों और मीडिया के बीच समन्वय का बेहतरीन उदाहरण बन गई।

घटनास्थल पर पुलिस और पत्रकारों का सक्रिय सहयोग
यह घटना एक गुप्त सूचना के आधार पर शुरू हुई, जब पत्रकार धीरेंद्र सिंह को जानकारी मिली कि बाणसागर नगर पालिका बैरियर के पास एक संदिग्ध गाड़ी मौजूद है, जो अवैध खनन सामग्री लेकर जा रही है। इसके तुरंत बाद पुलिस की टीम सक्रिय हुई, जिसमें थाना प्रभारी के नेतृत्व में उप निरीक्षक हरिभान सिंह परस्ते, सहायक उप निरीक्षक महेश झा, प्रधान आरक्षक दिनेश शुक्ला, प्रधान आरक्षक सूरज सिंह, आरक्षक आदित्य सिंह और आरक्षक अभिषेक तिवारी सहित अन्य पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे।

इस दौरान प्रमुख पत्रकारों, जैसे कि सिद्धार्थ अनिम्होत्री, उमेश शुक्ला और लक्ष्मीकांत तिवारी, ने भी मौके पर पहुंचकर घटना की कवरेज की और यह सुनिश्चित किया कि मामले की जानकारी जनता तक पहुंचे। पत्रकारों की तत्परता ने इस मामले को एक बड़ा मुद्दा बना दिया और प्रशासन के द्वारा की जा रही कार्रवाई को सुर्खियों में ला दिया।

तहसीलदार की कड़ी कार्रवाई और अवैध खनन का खुलासा
सम्बंधित मामले में तहसीलदार व्यवहारी ने अवैध खनन सामग्री से भरी एक संदिग्ध गाड़ी को थाने में लाकर उसे जब्त कर लिया। गाड़ी के दस्तावेजों की जांच के दौरान यह पाया गया कि इस गाड़ी का लोड अमिलिया जिले के खदान से किया गया था, लेकिन जिस खदान से लोडिंग की बात की जा रही थी, वहाँ किसी प्रकार की वैध टीपी (ट्रांसपोर्ट परमिट) उपलब्ध नहीं थी। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि यह गाड़ी पहले भी एक चक्कर लगा चुकी थी, जिसका अर्थ था कि यह पूरी तरह से अवैध गतिविधि थी।

अमिलिया खदान में कोई वैध टीपी नहीं होने के बावजूद, लोडिंग के लिए गलत टीपी का इस्तेमाल किया जा रहा था, जो कि स्पष्ट रूप से एक गहरी साजिश का हिस्सा था। तहसीलदार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए गाड़ी को थाने में लाकर कड़ी जांच शुरू की और आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस को निर्देश दिए।

पांच घंटे बाद मीनिंग टीम की थाने में पहुंचना
इस पूरे घटनाक्रम के पांच घंटे बाद, मीनिंग विभाग की टीम ने थाने में पहुंचकर मामले की गंभीरता को समझा और अपनी जांच शुरू की। इससे यह साबित हुआ कि प्रशासन और पुलिस दोनों ही मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई में जुटे थे।

समाज में सुरक्षा और जिम्मेदारी का मजबूत संदेश
यह घटना पुलिस प्रशासन की कार्यशैली, प्रशासनिक कार्रवाई की तत्परता और पत्रकारिता के प्रभाव को दर्शाने वाली है। जब पुलिस, प्रशासन और पत्रकार एकजुट होकर काम करते हैं, तो किसी भी चुनौती का सामना करना और सही सूचना का प्रसार करना संभव होता है। यह घटना समाज में सुरक्षा, कानून का पालन और जिम्मेदारी के उच्चतम मानकों को स्थापित करने में मददगार साबित हुई।

यह मामला एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि किस प्रकार एक सूचनाप्राप्ति और सक्रियता से अवैध गतिविधियों का पर्दाफाश किया जा सकता है। पुलिस प्रशासन की तत्परता और पत्रकारों की जिम्मेदारी ने इस मामले को एक बड़ी सफलता में बदल दिया है, जो समाज के लिए एक अहम संदेश है।

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