विकास चंदेल को डॉक्टरेट की उपाधि, बैगा जनजाति की शिक्षा पर किया उल्लेखनीय शोध
शैक्षणिक उत्कृष्टता, सामाजिक प्रतिबद्धता और सेवा भाव का अद्भुत संगम
डिंडोरी/अमरकंटक। पत्रकार विनय की रिपोर्ट।
डिंडोरी जिले के युवा समाजसेवी और शिक्षा क्षेत्र में समर्पित व्यक्तित्व विकास सिंह चंदेल ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय, अमरकंटक से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त कर जिले, समाज और जनजातीय समुदाय को गौरवान्वित किया है। उनका शोध विषय – “बैगा जनजाति के शिक्षा में आने वाली समस्याएं एवं चुनौतियाँ: डिंडोरी जिले के बैगाचक क्षेत्र का एक अध्ययन” – समाज के हाशिए पर खड़े समुदाय की शैक्षिक स्थिति पर एक सशक्त हस्तक्षेप माना जा रहा है।
इस शोध निर्देशन का उत्तरदायित्व डॉ. रमेश बी ने निभाया, जबकि सह-निर्देशक के रूप में डॉ. कृष्णमणि भगवती ने सक्रिय मार्गदर्शन दिया। विकास चंदेल ने शोध का सफलतापूर्वक प्रस्तुतीकरण कर यह प्रतिष्ठित उपाधि अर्जित की।
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📚 शैक्षणिक पृष्ठभूमि: सतत परिश्रम और प्रतिबद्धता का परिचय
विकास चंदेल की प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय शैक्षणिक संस्थानों में हुई। तत्पश्चात उन्होंने अमरकंटक विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग से बीएससी, बीएड, तथा एमएसडब्ल्यू (स्नातकोत्तर) की डिग्री स्वर्ण पदक के साथ प्राप्त की। इसके उपरांत उन्होंने समाज कार्य विषय में UGC-NET परीक्षा उत्तीर्ण कर शोध की दिशा में कदम बढ़ाया।
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🌿 शोध कार्य में समाजसेवा का समावेश
डॉ. चंदेल ने यह शोध केवल अकादमिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकार को ध्यान में रखते हुए किया। उन्होंने अपने शोध कार्य को स्वर्गीय डॉ. प्रबीर सरकार, अपने माता-पिता श्री नेम सिंह चंदेल एवं श्रीमती उर्मिला सिंह चंदेल, तथा समस्त बैगा समुदाय को समर्पित किया।
उनका मानना है कि शिक्षा, विशेष रूप से जनजातीय समुदाय की शिक्षा, को समझे बिना संपूर्ण सामाजिक विकास की कल्पना अधूरी है।
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🤝 सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान
डॉ. विकास चंदेल केवल एक विद्वान शोधार्थी ही नहीं, बल्कि एक समर्पित समाजसेवी भी हैं। उन्होंने ‘प्रणाम नर्मदा युवा संघ’ की स्थापना कर समाजसेवा को संगठित स्वरूप दिया है। उनके नेतृत्व में निम्नलिखित कार्य किए गए:
कोविड-19 महामारी के दौरान ‘ऑपरेशन मदद’ के तहत भोजन एवं औषधि वितरण,
‘निरोगी नारी अभियान’ के अंतर्गत मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम का संचालन,
रक्तदान शिविरों,
वृक्षारोपण कार्यक्रम,
गरीब विद्यार्थियों के लिए ‘विवेकानंद विद्यार्थी भवन’ की स्थापना,
तथा माँ नर्मदा नदी के संरक्षण एवं स्वच्छता अभियान में सक्रिय सहभागिता।
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👪 माता-पिता की भावनात्मक प्रतिक्रिया
श्री नेम सिंह चंदेल (पिता) ने कहा:
> “बचपन से हमने देखा कि विकास हर चीज़ को दिल से करता है। आज उसकी मेहनत, समाज के लिए उसका समर्पण, और उसकी लगन ने हम सबका सिर गर्व से ऊँचा कर दिया है।”
श्रीमती उर्मिला सिंह चंदेल (माता) ने भावुक होकर कहा:
> “बेटा हमेशा कहता था — माँ, मैं कुछ ऐसा करूंगा जिससे गाँव का नाम हो। आज उसकी मेहनत रंग लाई है।”
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👬 स्नातक काल के मित्र की प्रतिक्रिया
विनय मेहरा (सहपाठी, बीएससीबीएड) ने अपनी खुशी साझा करते हुए कहा:
> “हमने कॉलेज में साथ पढ़ाई की है। विकास एक अलग ही सोच वाला छात्र था। जहाँ सब सिर्फ डिग्री की बात करते थे, वहाँ वह समाज की बात करता था। आज वह वास्तव में अपनी बातों को सिद्ध कर चुका है।”
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🗣️ स्वयं डॉ. विकास चंदेल का कथन
> “यह उपाधि मेरे लिए एक सम्मान नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। मैंने यह शोध बैगा समाज के बच्चों की आवाज़ बनने के लिए किया है। यह डिग्री मैं अपने माता-पिता, गुरुजनों, साथ पढ़ने वाले मित्रों और उन तमाम लोगों को समर्पित करता हूँ जो कभी अपनी बात कह नहीं पाए।”
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सोशल मीडिया पर उमड़ा बधाइयों का सैलाब
जैसे ही विकास सिंह चंदेल को डॉक्टरेट की उपाधि मिलने की खबर सोशल मीडिया पर फैली, उन्हें बधाइयों और शुभकामनाओं का तांता लग गया। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और ट्विटर पर उनके मित्रों, सहपाठियों, शिक्षकों और जूनियर्स ने उन्हें टैग करते हुए पोस्ट साझा कीं।
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🌟 युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत
डॉ. विकास सिंह चंदेल आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो शिक्षा को केवल डिग्री नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम मानते हैं। उनकी यह उपलब्धि इस बात का उदाहरण है कि यदि समर्पण हो तो छोटे गाँवों से भी वैश्विक सोच वाले व्यक्तित्व निकल सकते हैं।
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