450 वर्षों बाद पुनः जागृत हुआ काली माता का दिव्य दरबार, सोमवार को उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

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खोयला (पोरसा)।



पोरसा तहसील के खोयला गांव स्थित ऐतिहासिक काली माता मंदिर एक बार फिर भक्तों की आस्था का केंद्र बन चुका है। प्रत्येक सोमवार को यहां सैकड़ों श्रद्धालु दूर-दराज़ से पहुंचकर माता रानी के दरबार में हाजिरी लगाते हैं और अपनी मनोकामनाओं की अर्जी लगाते हैं।

मान्यता है कि काली माता के इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से अर्जी लगाई जाती है, वह अवश्य पूरी होती है। यही कारण है कि यहां भक्तों की भीड़ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। श्रद्धालु यहां अपनी पारिवारिक, स्वास्थ्य, नौकरी, विवाह और अन्य जीवन समस्याओं के समाधान हेतु माता से प्रार्थना करते हैं।

विशेष बात यह है कि यह दिव्य दरबार लगभग 450 वर्षों बाद पुनः खोयला गांव में स्थापित हुआ है। इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि सैकड़ों साल पहले यह दरबार यहीं लगाया जाता था, लेकिन किसी कारणवश यह परंपरा बंद हो गई और दरबार धीरबल का पुरा नामक स्थान पर स्थापित हो गया था। अब एक बार फिर उसी प्राचीन स्थान — खोयला — में माता का दरबार स्थापित किया गया है।

भक्तों का कहना है कि यहां की चमत्कारी शक्तियों की गूंज चारों दिशाओं में फैल चुकी है। सोमवार के दिन तो मंदिर प्रांगण में मेले जैसा माहौल रहता है। ढोल-नगाड़ों की गूंज, माता के जयकारों से गूंजता वातावरण और श्रद्धालुओं की आस्था से सजी कतारें इस बात की गवाही देती हैं कि माता का दरबार पुनः जीवंत हो चुका है।

मंदिर समिति के अनुसार, दरबार के पुनः आरंभ से अब तक कई भक्तों की अर्जी सफल हुई है, जिनकी गवाही स्वयं लाभार्थी दे रहे हैं। मंदिर को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और प्रशासन की ओर से भी सहयोग किया जा रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

यह स्थान अब एक बार फिर एक प्रमुख धार्मिक आस्था केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां श्रद्धा, विश्वास और चमत्कार का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।




यदि आप भी माता रानी के दरबार में अपनी अर्जी लगाना चाहते हैं, तो सोमवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता है। खोयला गांव स्थित इस मंदिर में माता रानी के दर्शन करके आप भी अपने जीवन की समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।


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