बौद्ध विरासत पर संकट: जापान जैसे देशों से प्रेरणा लेकर धनेह के बौद्ध विहार को संरक्षित करने की मांग तेज

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सतना, मध्यप्रदेश | विशेष संवाददाता

जिला सतना के उचेहरा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत धनेह में स्थित ऐतिहासिक एवं आस्था का केंद्र अम्मा धम्मा बौद्ध विहार इस समय गहरे संकट में है। नर्मदा नहर परियोजना के अंतर्गत किए जा रहे भू-अर्जन कार्यों ने इस बौद्ध स्थल की पवित्रता और अस्तित्व दोनों को खतरे में डाल दिया है। इस मुद्दे को लेकर भीम आर्मी / आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेतृत्व में बहुजन समाज के नागरिक 27 मई 2025 से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं।

धरने पर बैठे लोगों की प्रमुख मांग है कि जिस तरह जापान ने अपने ऐतिहासिक बौद्ध स्थलों को संरक्षित किया है, उसी तरह भारत में भी बौद्ध स्थलों को संवैधानिक संरक्षण और सांस्कृतिक पहचान के तौर पर सुरक्षित किया जाना चाहिए। जापान में बौद्ध धर्म को न केवल राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्वीकारा गया है, बल्कि विकास कार्यों की योजना बनाते समय धार्मिक स्थलों को संरक्षित रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।




📍 क्या है विवाद?

धनेह स्थित अम्मा धम्मा बौद्ध विहार में कई वर्षों से डॉ. भीमराव अंबेडकर, तथागत गौतम बुद्ध एवं संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह स्थल बहुजन समाज के लिए न सिर्फ एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि सामाजिक चेतना और संवैधानिक मूल्यों का प्रतीक भी है।

हाल ही में प्रशासन द्वारा नर्मदा नहर परियोजना के लिए भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें बौद्ध विहार की भूमि भी शामिल कर दी गई है। जबकि स्थानीय लोगों का दावा है कि मूल नक्शे में नहर की लाइन विहार से कई मीटर दूर प्रस्तावित थी, जिसे अब बदलकर स्थल के करीब लाया जा रहा है।





📣 धरना और प्रदर्शन

धरना स्थल पर उपस्थित लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई बहुजन समाज की धार्मिक स्वतंत्रता और पहचान पर सीधा हमला है। 11 दिनों से चल रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन में शामिल लोगों ने प्रशासन से बार-बार निवेदन किया है, परंतु अब तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है।

एक प्रदर्शनकारी का कहना है,

> “हमारा आंदोलन बिल्कुल वैसा ही है जैसा जापान में होता है जब उनकी विरासत खतरे में आती है। हम भी अपने महापुरुषों की विचारधारा, मूर्तियों और स्मारकों को बचाने के लिए संघर्ष करेंगे।”






🏯 जापान से प्रेरणा क्यों जरूरी है?

जापान, जहां बौद्ध धर्म गहराई से समाहित है, वहां मंदिरों, स्तूपों और विहारों को संरक्षित करने के लिए कठोर कानून हैं। किसी भी निर्माण कार्य से पहले सुनिश्चित किया जाता है कि धार्मिक या ऐतिहासिक स्थलों को कोई नुकसान न पहुंचे।
भारत जैसे बहु-धार्मिक और विविध संस्कृति वाले देश में भी ऐसी ही संवेदनशीलता अपेक्षित है।




📢 मुख्य मांगे:

1. नर्मदा नहर परियोजना की लाइन को तत्काल बौद्ध विहार क्षेत्र से हटाकर स्वीकृत लेआउट के अनुसार दूर ले जाया जाए।


2. अम्मा धम्मा बौद्ध विहार को धार्मिक स्थल के रूप में राजकीय मान्यता दी जाए।


3. बौद्ध समाज के महापुरुषों की प्रतिमाओं को किसी भी प्रकार की क्षति से बचाने हेतु स्थायी सुरक्षा व्यवस्था लागू की जाए।


4. आंदोलन स्थल पर बैठे लोगों से प्रशासन वार्ता कर त्वरित समाधान निकाले।






🛑 आगामी चेतावनी:

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया, तो यह आंदोलन केवल सतना जिले तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश स्तर पर व्यापक आंदोलन का रूप लेगा।




👉 निष्कर्ष:
भारत, विशेषकर मध्यप्रदेश जैसे सांस्कृतिक राज्यों को जापान जैसे देशों से सीख लेकर अपने बौद्ध और बहुजन धरोहर स्थलों को सुरक्षित और संरक्षित करना होगा। अम्मा धम्मा बौद्ध विहार केवल एक इमारत नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और संविधानिक मूल्यों का प्रतीक है। प्रशासन को यह समझते हुए तत्काल सकारात्मक कदम उठाने होंगे, जिससे न केवल एक धार्मिक स्थल बचे, बल्कि लोकतंत्र की गरिमा भी बनी रहे।


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