“बिल बाद में, मंजूरी पहले! शहडोल के स्कूलों में गड़बड़ी पर मंत्री सख्त”

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शहडोल: स्कूलों की मरम्मत में बड़ा घोटाला उजागर, मंत्री ने दिए जांच के आदेश

सकंदी और निपनिया स्कूल में करोड़ों की गड़बड़ी, दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा साफ

शहडोल (म.प्र.)।
मध्यप्रदेश के

शहडोल जिले में सरकारी स्कूलों की मरम्मत के नाम पर हुए बड़े घोटाले ने शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के सकंदी हाई स्कूल और निपनिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अनुरक्षण कार्यों में भारी अनियमितताएं उजागर हुई हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं।



मंत्री ने कहा कि:

> “मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार में किसी भी तरह की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।”



ये है मामला: आंकड़ों से खुले फर्जीवाड़े के पर्दे

शासकीय रिकॉर्ड के अनुसार:

सकंदी हाई स्कूल में सिर्फ 4 लीटर पेंट के लिए 168 मजदूर और 65 मिस्त्री दिखाए गए।
➤ ₹1,06,984 की राशि का भुगतान कर दिया गया।

निपनिया स्कूल में 20 लीटर पेंटिंग, 10 खिड़कियां और 4 दरवाजे लगाने के लिए
➤ 275 मजदूर और 150 मिस्त्री दर्शाए गए।
➤ ₹2,31,685 की राशि स्वीकृत की गई।


बिल से पहले मिली मंजूरी, कैसे?

सबसे चौंकाने वाली गड़बड़ी निपनिया स्कूल में सामने आई, जहां
➤ ठेकेदार ‘सुधाकर कंस्ट्रक्शन’ ने 5 मई 2025 को बिल बनाया,
लेकिन
➤ प्राचार्य ने उसी बिल को 4 अप्रैल 2025 को ही सत्यापित कर दिया।

यह तारीखों का खेल अब जाँच के घेरे में है और इस पर फर्जीवाड़े की पुष्ट पुष्टि मानी जा रही है।

मंत्री सख्त, प्रशासन सक्रिय

शिक्षा मंत्री ने मामले की निष्पक्ष जांच के निर्देश स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और लोक शिक्षण आयुक्त को दिए हैं। वहीं, स्थानीय प्रशासन ने सभी संदिग्ध दस्तावेज जब्त कर जांच प्रारंभ कर दी है।

अब पूरे जिले की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या वास्तव में जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होगी या मामला फिर लीपापोती की भेंट चढ़ेगा।



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