अमर शहीद राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ को बलिदान दिवस पर दी गई श्रद्धांजलि, क्रांतिवीर की अदम्य साहस को किया सलाम

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मुरैना। महेंद्र साखवार की रिपोर्ट।

चंबल संग्रहालय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

मुरैनाः 97वें बलिदान दिवस पर, चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना और उनके साथियों ने राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ के पैतृक गांव बरवाई में श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर डॉ. राना ने शहीद राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ को सलामी दी और उनके योगदान को याद किया। उन्होंने सभा में बताया कि किस तरह बिस्मिल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाई और आज भी उनका साहस और संघर्ष युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।

काकोरी ट्रेन एक्शन और शहीदों की आत्मकथा पर प्रकाश

श्रद्धांजलि सभा में डॉ. शाह आलम राना ने काकोरी ट्रेन एक्शन की शताब्दी वर्ष की ओर इशारा करते हुए चंबल म्यूजियम द्वारा चलाए जा रहे अभियान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस ऐतिहासिक घटना की महत्वपूर्णता पर जोर दिया और शहीद राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ द्वारा फांसी से पहले लिखी गई आत्मकथा को सभी नौजवानों के लिए प्रेरणादायक बताया। राना ने कहा कि यह आत्मकथा हमारे युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरूक करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

डॉ. शाह आलम राना को सम्मानित किया गया

इस विशेष अवसर पर क्रांतिकारी दस्तावेजी लेखक डॉ. शाह आलम राना को उनके योगदान के लिए आयोजन समिति द्वारा सम्मानित किया गया। राना ने काकोरी ट्रेन एक्शन और अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान पर लगातार कार्य किया है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को इन महानायकों की प्रेरणा मिलती है। कुछ दिन पहले, चंबल संग्रहालय द्वारा अंबाह, मुरैना में काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह का आयोजन भी किया गया था।

 


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