नई दिल्ली, 10 फरवरी 2025:
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है, जिसमें शिक्षा मंत्रालय के 2 नवंबर 2017 के पत्र का पालन करने के लिए कहा गया है। यह निर्देश खासकर उन शैक्षणिक और अकादमिक कर्मचारियों से संबंधित है, जिन्होंने एम.फिल या पीएच.डी. डिग्री प्राप्त की है। शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इन डिग्रियों के आधार पर किसी भी कर्मचारी को अग्रिम वेतन वृद्धि नहीं दी जाएगी।
क्या है शिक्षा मंत्रालय का निर्देश?
शिक्षा मंत्रालय के पत्र में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि “प्रोत्साहन संरचना बेतन संरचना में ही अंतर्निहित है, जिसमें एम.फिल या पीएच.डी. के डिग्री धारक कैरीअर एडवांसमेंट स्कीम (CAS) के तहत तेजी से प्रगति करेंगे।” इसका मतलब यह है कि एम.फिल और पीएच.डी. डिग्री के धारक सीएएस के तहत पहले से ही वेतन वृद्धि और प्रमोशन में तेजी से लाभ प्राप्त करते हैं, इसलिए उन्हें अतिरिक्त या अग्रिम वेतन वृद्धि देने का कोई तर्क नहीं है।
क्या है इसका उद्देश्य?
इस निर्देश का उद्देश्य विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को यह सुनिश्चित करने की दिशा में मार्गदर्शन करना है कि वे मंत्रालय द्वारा निर्धारित नियमों और निर्देशों का पालन करें। ऐसा न करने पर भविष्य में ऑडिट आपत्तियां उत्पन्न हो सकती हैं, जो वित्तीय और प्रशासनिक समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
विश्वविद्यालयों से अनुरोध
विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया गया है कि वे शिक्षा मंत्रालय के इस पत्र में दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन करें। इस पत्र का पालन करने से विश्वविद्यालयों को ऑडिट आपत्तियों से बचने में मदद मिलेगी और प्रशासनिक मामलों में पारदर्शिता बनी रहेगी।
इस संदर्भ में, मंत्रालय ने अपने पत्र की एक प्रति संलग्न की है, जिसमें सभी बिंदु स्पष्ट रूप से उल्लिखित हैं। यह कदम वित्तीय पारदर्शिता और नियमानुसार कार्यवाही को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, ताकि किसी भी प्रकार के नियमों का उल्लंघन न हो और विश्वविद्यालयों में अनुशासन बना रहे।
