मुरैना /अंबाह (विनय मेहरा की रिपोर्ट )
मध्य प्रदेश शासन ने राज्य की जेलों के नामों में बड़ा बदलाव किया है। अब तक जिन जेलों को केंद्रीय जेल, जिला जेल, उप जेल, और खुली जेल के नाम से जाना जाता था, उनके नाम बदलकर केंद्रीय कारागार एवं सुधार संस्था, जिला कारागार एवं सुधार संस्था, उप कारागार एवं सुधार संस्था, और खुली कारागार एवं सुधार संस्था कर दिए गए हैं। यह कदम जेलों के उद्देश्य को सुधारात्मक दृष्टिकोण से जोड़ने के लिए उठाया गया है, ताकि कैदी सुधार, पुनर्वास और समाज में पुनःस्थापना की दिशा में आगे बढ़ सकें।
मध्य प्रदेश शासन द्वारा राज्यभर में आयोजित गीता महोत्सव के तहत, सब जेल अंबाह में सात दिवसीय श्रीमद भगवत गीता कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस भव्य आयोजन में प्रसिद्ध कथावाचक पंडित अमित मिश्र जी महाराज ने गीता के शाश्वत संदेशों का विस्तार से वाचन किया, जिससे उपस्थित सभी को जीवन के सत्य और नैतिकता का गहरा ज्ञान मिला।
कथा के दौरान एक भावुक पल भी आया, जब पंडित जी के पिताजी कथा वाचन के दौरान भावुक हो गए। इस कार्यक्रम में जेल ठेकेदार सचिन गुप्ता और पिंटू चौहान ने पंडित जी को माल्यार्पण और साल भेंटकर सम्मानित किया, जबकि जेलर रफी हुसैन खान और उनकी पत्नी फौजिया खान ने भी उन्हें सम्मानित किया।
कार्यक्रम में एसडीएम अंबाह और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित थे, जिन्होंने आयोजन की सराहना की और इसे सुधारात्मक कार्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना। इस आयोजन ने न केवल कैदियों के दिलों में शांति का संचार किया, बल्कि उन्हें एक नई दिशा देने का कार्य किया, जिससे उनके जीवन में सुधार और सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जेलों के नाम में किए गए इस बदलाव और ऐसे धार्मिक आयोजनों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार और प्रशासन दोनों ही सुधारात्मक कार्यों को महत्व दे रहे हैं, ताकि जेलों में बंद लोग समाज में स्वस्थ और सक्षम नागरिक के रूप में वापस लौट सकें।
इनका कहना है ?

जेलर रफी हुसैन खान ने कहा, “आज का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे सुधारात्मक कार्यों का एक अहम हिस्सा भी है। श्रीमद भगवत गीता का संदेश जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करता है और कैदियों में आत्मनिर्भरता तथा नैतिकता की भावना को जागृत करता है। इस तरह के आयोजनों से उनका सुधार संभव हो पाता है, और हम उनके पुनर्वास की दिशा में यह एक कदम और बढ़ा रहे हैं।”

एसडीएम अंबाह ने कहा, “श्रीमद भगवत गीता का यह आयोजन बहुत ही प्रेरणादायक है। जेलों में इस प्रकार के धार्मिक और मानसिक सुधार कार्यक्रम कैदियों को एक नई दिशा देते हैं। इस आयोजन के माध्यम से कैदी केवल धार्मिक शिक्षा प्राप्त नहीं करते, बल्कि उनका मानसिक और आत्मिक स्तर भी ऊंचा होता है। यह आयोजन उनके जीवन में बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और हमें उम्मीद है कि इससे उनके भविष्य में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।”