पोरसा: (पत्रकार रवि सिंह तोमर की रिपोर्ट )
“पानी की एक बूँद, जीवन का उद्धार”—यह उक्ति पूरी तरह से उस प्रेरणा को व्यक्त करती है जिसने दिनेश बाबू शर्मा को पीएचई विभाग में कार्यरत रहते हुए हजारों लोगों की प्यास बुझाने के लिए प्रेरित किया। 41 साल की सेवा में, दिनेश बाबू ने न केवल प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ निभाई, बल्कि उन्होंने समाज सेवा की असल मिसाल भी पेश की। उनकी कहानी न केवल एक सरकारी अधिकारी की, बल्कि एक समाजसेवी की भी है, जिन्होंने हमेशा जरूरतमंदों की सहायता को प्राथमिकता दी।
13 मार्च 1984 को पीएचई विभाग से जुड़ने वाले दिनेश बाबू शर्मा का जीवन एक प्रेरणा है। उन्हें यह प्रेरणा उनके माता-पिता श्रीमती प्रेमवती कटारे और श्री रामजीलाल कटारे से मिली। आदिवासी क्षेत्रों में पानी की किल्लत को देखकर उन्होंने सिंगरौली में 4000 से अधिक हैंडपंप खनन करवा कर, लाखों लोगों की प्यास बुझाई और उन्हें पीने का साफ पानी उपलब्ध कराया।
उनकी यह पहल केवल एक प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि एक समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी और समर्पण का प्रतीक बन गई। रिटायरमेंट के बाद भी, जहां-जहां दिनेश बाबू ने कार्य किया, वहां-जहां जरूरतमंदों को पानी की आवश्यकता थी, उन्होंने बिना किसी भेदभाव के हैंडपंपों के खनन को सुनिश्चित किया।
शिवम गार्डन में आयोजित विदाई समारोह में दिनेश बाबू शर्मा को सम्मानित किया गया। इस मौके पर श्रीमती वंदना शर्मा, श्रीमती विमलेश शर्मा, डॉ. सुरेंद्र सिंह तोमर, रोशन लाल वर्मा, बासुदेव शर्मा, कमल सिंह तोमर, रामपाल सिंह तोमर और कई अन्य सम्मानित गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन हरिओम गुप्ता जी ने किया और दिनेश बाबू को गीता, शाल और श्रीफल भेंट कर उनका सम्मान किया गया।
दिनेश बाबू ने अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों को याद करते हुए कहा, “मेरे लिए यह कार्य सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि आत्मिक संतोष का विषय रहा है। पानी की कोई कीमत नहीं होती, लेकिन यह एक जीवनदायिनी तत्व है।”
आज, जब वे रिटायर हो चुके हैं, तो उनकी सेवा और समर्पण की मिसाल समाज में हमेशा जीवित रहेगी।
