पोरसा (मुरैना)। पत्रकार विनय की रिपोर्ट।
आमतौर पर मुक्तिधाम को लेकर लोगों के मन में एक गंभीर और डर से भरा हुआ दृश्य उभरता है, लेकिन पोरसा का मुक्तिधाम, जिसे डॉक्टर अनिल गुप्ता और उनके साथियों द्वारा संवारा गया है, इस सोच को पूरी तरह बदल देता है। यह स्थान आज कला, सेवा, प्रकृति और सामाजिक चेतना का ऐसा संगम बन चुका है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।
पूर्व अंबाह नगर पालिका अध्यक्ष श्री जिनेश जैन ने हाल ही में इस मुक्तिधाम का दौरा किया और इसे एक “जीवंत स्वर्गलोक” की उपमा दी। उन्होंने कहा कि यह स्थान केवल अंतिम संस्कार का स्थल नहीं बल्कि एक प्रेरणास्थली बन चुका है, जहां जीवन, सौंदर्य और अध्यात्म का अद्भुत संगम है।

डॉ. अनिल गुप्ता की कल्पनाशीलता का नतीजा
यह मुक्तिधाम डॉ. अनिल गुप्ता की सोच और मेहनत का परिणाम है। यहां गोवर्धन पर्वत से गिरता झरना, हरिश्चंद्र-तारामती की सुंदर प्रतिमाएं, औषधीय पौधों का उपवन, बेजुबान पक्षियों के लिए बसेरा, और बच्चों के खेलने के स्थान जैसी कई अनोखी विशेषताएं हैं। यह स्थान अब व्यायाम, ध्यान, पिकनिक और पक्षी सेवा का भी केंद्र बन गया है।
मुक्तिधाम बना प्रेरणा का केंद्र
श्री जिनेश जैन ने कहा, “मैंने बहुत बार इस मुक्तिधाम की प्रशंसा सुनी थी, लेकिन आज स्वयं देखकर मन प्रफुल्लित हो गया। यहां भय नहीं बल्कि शांति और सौंदर्य का अनुभव होता है। लोग यहां जन्मदिन तक मनाते हैं, व्यायाम करते हैं और बच्चों को घुमाने लाते हैं।”
विश्व स्तर पर पहचान
इस मुक्तिधाम को उसकी विशिष्टता के चलते ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में स्थान मिला है, जो डॉ. अनिल गुप्ता और उनके साथियों के सतत प्रयासों का प्रमाण है।
जिनेश जैन का सहयोग व योगदान
अपने दौरे के दौरान श्री जिनेश जैन ने मुक्तिधाम में बन रहे महाकाल लोक के 12 ज्योतिर्लिंग निर्माण के लिए अपनी ओर से ₹51,000 की राशि दान करने की घोषणा की। साथ ही अंबाह में भी ऐसा ही एक मुक्तिधाम बनाने की प्रेरणा लेकर वे लौटे।
पोरसा का यह मुक्तिधाम अब मोक्ष का ही नहीं, बल्कि जीवन को जीने की एक नई दिशा देने वाला स्थल बन गया है। डॉ. अनिल गुप्ता और उनके सभी सहयोगियों का यह कार्य निश्चित रूप से समाजसेवियों के लिए अनुकरणीय है। श्री जिनेश जैन ने न केवल इस कार्य की सराहना की, बल्कि इसके विस्तार और प्रचार में भी सहयोग देने का संकल्प लिया।