महाराणा प्रताप जयंती पर शहडोल में ऐतिहासिक शोभायात्रा, ‘जय राजपूताना’ के नारों से गूंजा नगर

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शहडोल, 29 मई 2025 — पत्रकार विनय की रिपोर्ट। (8349627682)



मेवाड़ के महान शूरवीर महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती के अवसर पर शहडोल नगर वीरता, स्वाभिमान और देशभक्ति के रंग में रंगा नजर आया। इस अवसर पर निकाली गई ऐतिहासिक शोभायात्रा ने नगरवासियों को अपने गौरवशाली अतीत की याद दिला दी।

शाम 6 बजे बाणगंगा ग्राउंड से प्रारंभ हुई यह भव्य शोभायात्रा रीवा बायपास रोड, जय स्तंभ चौक, अंबेडकर चौक होते हुए महाराणा प्रताप चौक पर संपन्न हुई। यात्रा के दौरान 50 से 60 गाड़ियों का भव्य काफिला, ढोल-नगाड़ों की गूंज और 3 से 4 डीजे साउंड सिस्टम ने समूचे नगर को उत्साह और गर्व की भावना से भर दिया।

राजपूत समाज के सैकड़ों युवाओं, बुजुर्गों और बच्चों ने पारंपरिक परिधान धारण कर इस शोभायात्रा में भाग लिया। उनके जोश और उत्साह ने आयोजन को न केवल सांस्कृतिक, बल्कि ऐतिहासिक गरिमा भी प्रदान की।



हिंदू पंचांग से जुड़ी तिथि का विशेष महत्व:

महाराणा प्रताप की जयंती प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 29 मई को पड़ी, जिससे पूरे देश में अनेक आयोजन हुए। ऐतिहासिक रूप से महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था। पंचांग आधारित यह तिथि भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रति आस्था और सम्मान को दर्शाती है।



‘महाराणा प्रताप ने हमें संघर्ष करना सिखाया’ — प्रतिभागियों की राय

यात्रा में भाग लेने वाले एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा,

> “महाराणा प्रताप केवल एक योद्धा नहीं थे, वे आत्मसम्मान की चलती-फिरती प्रतिमा थे। उन्होंने हमें सिखाया कि स्वतंत्रता से बड़ा कोई धर्म नहीं।”



एक युवा प्रतिभागी ने बताया,

> “उनका जीवन हर युवा के लिए प्रेरणा है। उनसे हमें संघर्ष, साहस और राष्ट्रभक्ति की अमूल्य सीख मिलती है।”



वीरता की अमिट गाथा:

महाराणा प्रताप का जीवन त्याग, बलिदान और स्वाभिमान की जीवंत मिसाल है। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता को कभी स्वीकार नहीं किया। हल्दीघाटी युद्ध में उनका अदम्य साहस और उनका निष्ठावान घोड़ा चेतक आज भी राजपूत शौर्य के प्रतीक माने जाते हैं।




इस शोभायात्रा ने शहडोल नगर को एक बार फिर यह स्मरण कराया कि स्वाभिमान, वीरता और अपने इतिहास पर गर्व करने की भावना आज भी जीवंत है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

शोभायात्रा के आयोजक:

इस आयोजन को सफल बनाने में श्री राजपूत करणी सेना की अहम भूमिका रही। प्रमुख आयोजकों में देवी सिंह (प्रदेश मंत्री), देवेंद्र सिंह, शैलेंद्र सिंह, विक्की सिंह, कुश्लेष सिंह, राहुल सिंह, ऋषि सिंह, बद्री सिंह, सुनील सिंह, मनीष सिंह आदि शामिल रहे।



इन सभी के समर्पण और नेतृत्व में यह शोभायात्रा न केवल एक आयोजन बनी, बल्कि राजपूत गौरव और एकता की जीवंत मिसाल भी बन गई।



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