झूलेलाल की फोज ने मचा दी मोज 
 
संत श्री लाल दास साई जी का हुआ आगमन
गाडरवारा l हिंदू सिंधियों के महान पर्व श्री झूलेलाल चालीसा महोत्सव के दौरान सोमवार को परम पूज्य संत श्री लाल दास साई जी का गाडरवारा आगमन हुआ। सिंधी समाज के युवाओं द्वारा शांतिदूत तिराहे पर संत जी का ढोल नगाड़ों से स्वागत किया और पुष्प वर्षा करते हुए रूपचंद मगलानी के निवास स्थान पर लाया गया जहा पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने संत जी का स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया इसके उपरांत संत जी को आतिशबाजी और पुष्प वर्षा करते हुए गाजे बाजे के साथ सुखदेव भवन में आयोजित कार्यक्रम में ले जाया गया जहा पर कि समाज के महिला मंडल द्वारा गीत गाते हुए अपने सदगुरु का अभिनंदन किया कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही सदगुरु जी ने सर्वप्रथम भगवान श्री झूलेलाल जी की ज्योत को जगाया और भगवान श्री झूलेलाल जी की आरती गाकर सत्संग की शुरुआत की,आपकी अदभुत और धर्ममय वाणी को सुनकर आये हुए सभी श्रद्धालु भक्ति भाव से झूम उठे और अपने इष्ट श्री झूलेलाल जी के जयकारों से तालियों की अनवरत गड़गड़ाहट से सम्पूर्ण प्रांगण को गुंजायमान कर दिया। संत श्री लाल दास जी के द्वारा सभी समाज जनों को भगवान श्री झूलेलाल जी की महिमा उनके अवतरण से लेकर साढ़े तेरह वर्ष तक की आयु तक उनके द्वारा हिंदू सिंधियों के मान सम्मान और धर्म की रक्षा के लिए की गई लीलाओं के बारे में बताया ,कार्यक्रम के मध्य में समाज के महिला मंडल द्वारा भगवान श्री झूलेलाल जी एवं पधारे हुए संत जी की शान में एक बेहतरीन कार्यक्रम रखा गया जिसमें की छोटी-छोटी कन्याओं द्वारा एक बेहतरीन मनमोहक नृत्य प्रस्तुति के माध्यम से संत जी से समस्त गाडरवारा सिंधी के मंगल की कामना की गई, इस अप्रतिम प्रस्तुति में भाव विभोर होकर संत जी भी खुद को नहीं रोक पाये और इन छोटी छोटी कन्याओं के साथ नृत्य में शामिल होकर सभी समाज जनों को दिल खोलकर अनवरत उन्नति का आशीर्वाद दिया हर हर झूलेलाल घर घर झूलेलाल अभियान के तहत भगवान श्री झूलेलाल जी की कुछ प्रतिमा भी वितरित की गयी, लगभग चार घंटे तक चले कार्यक्रम में गाडरवारा सिंधी समाज की अपने इष्ट के लिए भक्ति और समर्पण देखकर संत जी के ह्रदय से सभी के लिए अनवरत आशीष वचन निकलते रहे बेहद सुखद सुंदर और आनन्द से परिपूर्ण वातावरण में भगवान श्री झूलेलाल जी के पल्लव साहब पाठ के माध्यम से सारे जगत के कल्याण की कामना की गई और समापन पर सभी आये श्रद्धालुओं द्वारा भंडारे में प्रसादी ग्रहण कर धर्म लाभ लिया ।

