IGNTU में आदिवासी आरक्षण पर गरमाई सियासत – विधानसभा में गूंजी आदिवासी अस्मिता की आवाज!

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अमरकंटक (म.प्र.) –

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU), अमरकंटक में आदिवासी समुदाय के लिए 50% आरक्षण की माँग ने अब मध्यप्रदेश विधानसभा में जोर पकड़ लिया है। यह अहम मुद्दा राष्ट्रीय जयस संरक्षक और विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने पुरजोर तरीके से उठाया। उन्होंने कहा:

> “IGNTU अपने मूल उद्देश्य से भटक चुका है – यह विश्वविद्यालय आदिवासियों को शिक्षा और रोजगार के अवसर देने के लिए बना था, न कि उन्हें हाशिए पर रखने के लिए!”






आंदोलन के केंद्र में छात्र संगठन – आरक्षण में भेदभाव के खिलाफ एकजुटता

डॉ. अलावा के साथ मध्यप्रदेश आदिवासी छात्र संगठन और जयस ने भी मोर्चा खोलते हुए IGNTU प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
छात्र नेताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय में ST छात्रों को न रोजगार मिल रहा, न समान प्रवेश अवसर।

संयुक्त नेतृत्व में शामिल:

डॉ. रोहित सिंह मरावी (प्रदेश उपाध्यक्ष, छात्र संगठन)
इंद्रपाल मरकाम (प्रदेश अध्यक्ष, जयस)
लोकेश सिंह मार्को (छात्र नेता)
वास्को, बिन्देश, वंदना, युवराज लवकेश सरसते, संतोष उइके, महेश सिंह (जिला अध्यक्ष डिंडोरी)





IGNTU में आरक्षण के नाम पर छल?

IGNTU अधिनियम – Section-1, Page 5, Serial No. 30(xxx) के अनुसार विश्वविद्यालय को अनुसूचित जनजातियों के हितों के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार है।

हकीकत: अमरकंटक स्थित IGNTU में ST वर्ग को मात्र 7.5% आरक्षण!


तुलना करें:

BBAU लखनऊ – SC/ST को 50% आरक्षण

IGNTU मणिपुर शाखा – ST वर्ग को 60% आरक्षण

IGNTU अमरकंटक – केवल 7.5%, जो कि संविधान और सामाजिक न्याय के विरुद्ध है।




छात्र संगठनों की 4 प्रमुख माँगें:

1. ST वर्ग को 50% आरक्षण तत्काल लागू हो।


2. विश्वविद्यालय के प्रशासनिक पदों पर आदिवासी नियुक्तियाँ सुनिश्चित हों।


3. जनजातीय अध्ययन विभाग और बिरसा मुंडा चेयर में ST प्रोफेसरों की नियुक्ति हो।


4. 300 में से केवल 5 ST फैकल्टी – यह संख्या बढ़ाई जाए।






“यह सिर्फ आरक्षण नहीं, आदिवासी सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई है” – डॉ. अलावा

डॉ. हीरालाल अलावा ने सदन में दो टूक कहा:

> “हम ये संघर्ष सदन से लेकर सड़क तक लड़ेंगे। ये आंदोलन सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा का प्रतीक है।”


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