“भमरहा में युवाओं की मिसाल: टूटा पुल बना संकट, रेत की बोरियों से खोला राहत का रास्ता!”

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भमरहा (शहडोल)।


तहसील ब्यौहारी के ग्राम भमरहा प्रथम में आज एक प्रेरणादायक पहल देखने को मिली, जब स्थानीय युवाओं ने सामूहिक प्रयास से एक बड़ी समस्या का समाधान खोज निकाला। भमरहा और गोरखपुर को संजय टाइगर रिजर्व से जोड़ने वाले झांपर नदी पुल की खस्ताहाल स्थिति से परेशान होकर युवाओं ने अपने स्तर पर पुल की मरम्मत का बीड़ा उठाया।

पुल की एक तरफ का हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त था, जिससे राहगीरों के लिए आवाजाही जोखिम भरी हो गई थी। दूसरी तरफ सिर्फ मिट्टी भरी पगडंडी थी, जिस पर चलना बेहद मुश्किल हो गया था। इस स्थिति में कई लोग फिसल कर गिर चुके थे, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश और चिंता दोनों देखी जा रही थी।




रेत की बोरियों से बनाई अस्थायी राह

समस्या का समाधान निकालने के लिए युवाओं की टीम ने मिलकर नदी के पुल पर रेत की बोरियों को सजाकर एक अस्थायी सुरक्षित रास्ता बनाया। यह कार्य बिना किसी सरकारी मदद के, पूर्णतः स्वयंसेवी भाव से किया गया। युवाओं का कहना है कि जब प्रशासनिक तंत्र सुस्त हो जाए, तब आम लोगों को खुद आगे आना पड़ता है।





इन युवाओं ने निभाई जिम्मेदारी

इस नेक कार्य में प्रमुख रूप से युवा छात्र नेता प्रदीप पटेल, राकेश पटेल, अंशु, धर्मेंद्र सेन सहित कई स्थानीय युवा साथी शामिल रहे। सभी ने मिलकर श्रमदान किया और पुल पर रेत की बोरियां रखकर उसे फिर से चलने योग्य बनाया।




संदेश: समस्या को देखकर न हटें, बल्कि हल ढूंढें

टीम के सदस्यों का कहना है कि अक्सर हम समस्याओं को देखकर मुंह मोड़ लेते हैं, लेकिन यदि समय रहते ध्यान दिया जाए और आपसी सहयोग से प्रयास किया जाए, तो कोई भी कठिनाई असंभव नहीं होती। उन्होंने यह भी कहा कि यह रास्ता स्थायी नहीं है, पर फिलहाल लोगों की सुरक्षा के लिए यह अस्थायी समाधान बेहद जरूरी था।




जनभागीदारी से मिली नई राह

यह पहल इस बात का उदाहरण है कि जब समाज के युवा एकजुट होकर कार्य करते हैं, तो उजाले की राह खुद-ब-खुद बन जाती है। भमरहा में रची गई यह मिसाल निश्चित ही अन्य गांवों और युवाओं को भी प्रेरित करेगी।



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