शहडोल (चेतराम शर्मा की रिपोर्ट)
गुरु पूर्णिमा का समारोह: एक दिवसीय आयोजन
शासकीय महाविद्यालय केशवाही, जिला शहडोल में 22 जुलाई 2024 को गुरु पूर्णिमा का आयोजन धूमधाम से किया गया। इस विशेष अवसर पर दोपहर 1:00 बजे से आयोजित समारोह में शिक्षा और गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्रभारी प्राचार्य नीरज श्रीवास्तव ने की, जबकि मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार चेतराम शर्मा और विशिष्ट अतिथि आचार्य तीरथ प्रसाद शुक्ल ने इस समारोह की गरिमा को बढ़ाया।
**समारोह की शुरुआत: दीप प्रज्वलन और सम्मान**
समारोह का आगाज माता सरस्वती के छाया चित्र के सामने दीप प्रज्वलन से किया गया। इस आध्यात्मिक उद्घाटन के बाद, पूर्व प्रभारी प्राचार्य नीरज श्रीवास्तव ने अतिथियों को शाल और श्रीफल देकर सम्मानित किया। यह स्नेहपूर्ण सम्मान गुरु-शिष्य संबंध की महत्वता को दर्शाता है और समारोह की गरिमा को स्थापित करता है।
**उद्बोधन: गुरु और शिष्य के रिश्ते पर विचार**
पूर्व प्रभारी प्राचार्य नीरज श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में गुरु और शिष्य के संबंध की बृहद चर्चा की। उन्होंने गुरु को ईश्वर से भी बड़ा बताया और गायक चंदो की पंक्तियों के माध्यम से गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त किया। विशिष्ट अतिथि आचार्य तीरथ प्रसाद शुक्ल ने शिष्य के गुणों पर प्रकाश डाला और कहा कि एक शिष्य को कागचेष्टा, बकुल ध्यान, श्वान निद्रा, अल्पहारी और गृहस्थ त्यागी के गुणों को अपनाना चाहिए।
**मुख्य अतिथि का संदेश: आदर और संकोच से परे संवाद**
मुख्य अतिथि चेतराम शर्मा ने अपने उद्बोधन में शिष्य को गुरु के प्रति आदर और सम्मान के साथ संवाद करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यदि किसी प्रश्न का उत्तर न समझ में आए तो बिना संकोच गुरु से पूछना चाहिए। गुरु और शिष्य के संबंध की निष्कपटता पर जोर देते हुए उन्होंने ज्ञान प्राप्ति की प्रक्रिया को सरल और खुला बताया।
**अंतिम आभार और उपस्थिति**
समारोह के समापन पर, पूर्व प्राचार्य नीरज श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर डॉ. दीप्ति सिंह, जमुना प्रसाद नामदेव, डॉ. राजमणि साकेत, मुकेश वर्मा और महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।
इस प्रकार, गुरु पूर्णिमा के इस भव्य समारोह ने गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मानित करने के साथ-साथ सभी को शिक्षा और सम्मान का मूल्य समझाया।