उमरिया/बिरसिंहपुर पाली: ग्रामीण क्षेत्रों में कियोस्क सेंटरों की अनियमितता ने खोली प्रशासन की पोल—शहरी क्षेत्रों में काम कर रहे कियोस्क, गांवों में नहीं मिल रही सुविधा
यस न्यूज ब्यूरो रिपोर्ट
पाली ब्लॉक में कियोस्क सेंटरों का अजीबोगरीब मामला—ग्रामीणों को मिल रहे शहर में बैंकिंग सेवाओं के झांसे
बैंकिंग सुविधाओं का शहरीकरण: ग्रामीणों की तकलीफें बढ़ीं
पाली ब्लॉक के ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के लिए कियोस्क सेंटर स्थापित किए गए थे, लेकिन इन सेंटरों को शहरी क्षेत्रों में संचालित किया जा रहा है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कियोस्क सेंटर जो ग्रामीण इलाकों के लिए बनाए गए थे, अब शहर में संचालित हो रहे हैं। इससे ग्रामीणों को पेंशन और सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए शहर आना पड़ रहा है, जो न केवल समय की बर्बादी है बल्कि आर्थिक रूप से भी भारी पड़ रहा है।
पेंशनधारियों की दुर्दशा: यात्रा और किराए की समस्या
कियोस्क सेंटर शहर में संचालित होने के कारण ग्रामीण पेंशनधारियों को कई किमी का सफर तय करना पड़ता है। बुजुर्ग पेंशनधारियों को अपनी पेंशन प्राप्त करने के लिए 20 से 30 रुपए किराया खर्च करना पड़ता है, जबकि उनकी मासिक पेंशन केवल 150 रुपए है। इस स्थिति में, उनकी पेंशन राशि का एक बड़ा हिस्सा यात्रा के खर्च में ही चला जाता है। यह योजना मूलतः ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं की सुविधा देने के लिए बनाई गई थी, लेकिन कियोस्क सेंटरों का शहर में संचालित होना इस उद्देश्य की विफलता को दर्शाता है।
कियोस्क सेंटरों का अनुबंधित संचालन: एक गंभीर उल्लंघन
कियोस्क सेंटरों का संचालन अनुबंध के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में होना चाहिए था। हालांकि, कई कियोस्क सेंटर शहरी इलाकों में खुल रहे हैं, जो अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है। बैंकों और कियोस्क संचालकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे निर्धारित स्थानों पर ही कियोस्क सेंटर संचालित करें और ग्रामीणों को सही सेवाएं प्रदान करें।
ग्रामीणों को नहीं मिल रहा कियोस्क सुविधा का लाभ
ग्रामीण इलाकों के लिए स्थापित किए गए कियोस्क सेंटरों का मुख्य उद्देश्य था कि ग्रामीणों को उनके गांव में ही बैंकिंग सेवाओं की सुविधा मिले। लेकिन, शहरी क्षेत्रों में संचालित होने के कारण, ग्रामीणों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
यह योजना ग्रामीणों की बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए थी, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह असफल हो रही है।
प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई की जरूरत
इस स्थिति को देखते हुए, प्रशासन को चाहिए कि वे कियोस्क सेंटरों की स्थिति की जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि वे अपने अनुबंधित गांवों में ही संचालित हों। ग्रामीणों को उनकी जरूरतों के अनुसार सुविधाएं उपलब्ध कराना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
