मुख्य मांगें – सीमांकन कर बाउंड्री का निर्माण और बाबा साहब की प्रतिमा की स्थापना
मुरैना, 25 नवम्बर 2024: मुरैना गांव में चल रहा धरना प्रदर्शन आज भी प्रशासन की अनदेखी और कार्रवाई में देरी के कारण जारी है। पिछले कई दिनों से ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन अब तक शासन-प्रशासन ने किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की है।
धरने में शामिल लोगों का कहना है कि प्रशासन और सरकार को उनकी आवाज सुननी चाहिए, क्योंकि यह मुद्दे न केवल गांव की सुरक्षा से जुड़े हैं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक भी हैं।
मांग 1: गांव की जमीन का सीमांकन और बाउंड्री का निर्माण
ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि गांव की सीमा का स्पष्ट रूप से सीमांकन किया जाए और बाउंड्री बनाई जाए। उनका कहना है कि कई बार भूमि विवाद और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है, जिससे गांववासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सीमांकन और बाउंड्री के निर्माण से इन समस्याओं से निपटा जा सकेगा और गांव में शांतिपूर्ण माहौल बना रहेगा।
मांग 2: बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना
दूसरी प्रमुख मांग, बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना की है। ग्रामीणों का कहना है कि बाबा साहब का योगदान भारतीय समाज के लिए अतुलनीय है और उनकी प्रतिमा स्थापित करने से उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त की जा सकेगी। इस मांग का समर्थन करते हुए प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि समाज के हर वर्ग को समानता और अधिकार दिलाने के लिए बाबा साहब के विचारों का पालन किया जाना चाहिए।
प्रशासन पर नाराजगी, ग्रामीणों ने दी चेतावनी
धरने में शामिल ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन लगातार इन समस्याओं की अनदेखी कर रहा है। कई बार अधिकारियों से बातचीत की गई, लेकिन उनकी ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। अब, ग्रामीणों ने प्रशासन से स्पष्ट और शीघ्र कार्रवाई की मांग की है, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। धरने के आयोजकों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो वे और भी कड़े कदम उठाने को मजबूर होंगे।
धरने में शामिल लोग और उनके समर्थन में खड़े ग्रामीण
धरने में न केवल मुरैना गांव के लोग, बल्कि आसपास के कई अन्य गांवों के लोग भी शामिल हो रहे हैं। यह प्रदर्शन सामाजिक समरसता और समानता की लड़ाई का प्रतीक बन चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल उनके गांव की समस्या नहीं, बल्कि पूरे समाज की समस्या है, जिसे प्रशासन को समझना होगा।
ग्रामीणों की यह एकजुटता शासन-प्रशासन के लिए एक कड़ी चेतावनी बन गई है कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई, तो धरना प्रदर्शन और तेज हो सकता है।
यह धरना प्रदर्शन इस बात का प्रतीक है कि जब तक प्रशासन ग्रामीणों की मांगों का उचित समाधान नहीं करता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस मुद्दे पर ध्यान देगा या स्थिति और बिगड़ेगी।

