आखिर रेंजर गाली गलौज और वन अपराध में फंसाने की धमकी क्यों दे डाले देखिए रिपोर्ट

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वन विभाग से राजस्व विभाग हलाकान

यस न्यूज ब्यूरो रिपोर्ट उमरिया

उमरियाचंदिया बीते दिन वाटरसेड के काम पर वन विभाग ने अपनी भूमि बताकर रोक लगाते हुए ठेकेदार के वाहन व मशीन जब्त कर लिए थे, जिसके बाद कलेक्टर के आदेश पर राजस्व विभाग और वन विभाग की संयुक्त टीम ने अपनी अपनी सीमा निर्धारित करी और लोगों सहित खुद को संतोष दिलाया, लेकिन वन विभाग के रेंजर हैं कि वह मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं कि जिस जगह पर वाटरसेड का काम हो रहा वह भूमि राजस्व विभाग की है।

इस बात से नाराज जोगिन के ग्रामीणों ने विरोध भी किया परंतु रेंजर साहब नहीं माने और पंचनामा में बिना अपनी सहमति के चलते बने।

मौके पर हो रही नाप का जब ग्रामीणों जनों ने समर्थन किया तो रेंजर रवि पांडेय आग बबूला हो गये और गाली गलौज करते हुए पंचायत के पंच, सरपंच और ठेकेदार को वन अपराध में फंसाने की धमकी दे डाली‌।

जिसको लेकर जोगिन के वाटरसेड कमेटी के अध्यक्ष व वर्तमान सरपंच जोगिन सहित अन्य ग्रामीणों ने जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, बांधवगढ़ एसडीएम सहित करकेली के सीईओ को पत्र देते हुए रेंजर रवि पांडेय पर आरोप लगाया है कि गत 30 दिसंबर को खसरा नंबर 225/1 का संयुक्त सीमांकन कराया जा रहा था, इस दौरान लाठी डंडों लिए रेंजर और मातहत कर्मचारी घटना स्थल पर मौजूद ग्रामीणों व पंचायत के पंचों के साथ गाली गलौज की व पंच राम किशोर गौतम की कालर पकड़कर धक्का लगा दिया और कहने लगे कि तुम लोग यहां से चले जाओ वरना वन अपराध में फंसा कर सारी जिंदगी जेल में बड़ा डालूंगा।

एक जिम्मेदार पद पर रहते हुए अधिकारी का इस तरह से वार्तालाप करना कहां तक सही है।


हालांकि मामले ने अब तूद पकड़ना शुरू कर दिया है यहां दो विभागों के बीच में पिसने वाला किसान दर दर ठोकरें ही खायेगा, क्योंकि राजस्व विभाग के नायब तहसीलदार, आर आई सहित पटवारी और वन टीम ने जो जगह पर नाप जोख की है उसे मानने के लिए चंदिया रेंजर रवि पांडेय तैयार ही नहीं हैं, ग्रामीणों का आरोप है कि रेंजर द्वारा शुरुआती दौर में पैसों के कारण काम को रोका था और अब पैसे नहीं मिलने के कारण वह कुछ भी मानने को तैयार नहीं हैं जबकि उनके विभाग के कर्मी और राजस्व विभाग के आला अफसर मौजूद थे।

जिससे यह कहना ग़लत नहीं होगा कि रेंजर से राजस्व विभाग हलाकान और परेशान हैं।

हालांकि पूरा मामला वन विभाग के बड़े अधिकारी और राजस्व के अधिकारियों के पास तक पहुंच गया है, देखना होगा कि प्रधानमंत्री मोदी जी जल संरक्षण का सपना पूरा होगा या रेंजर के आगे घुटने टेक देगा।


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