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🍼 अब अस्पताल से छुट्टी से पहले ही मिलेगा नवजात का जन्म प्रमाण-पत्र
मध्यप्रदेश सरकार ने शुरू की नई व्यवस्था – आम नागरिकों को मिलेगी बड़ी राहत
📍 शहडोल, 25 जून 2025 – अब माताओं को अपने नवजात शिशु का जन्म प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। राज्य शासन के आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग ने एक नई व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत अस्पताल से छुट्टी देने से पहले ही नवजात का जन्म प्रमाण-पत्र जारी कर दिया जाएगा।
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🔎 क्या है यह नई व्यवस्था?
मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) एवं आयुक्त, आर्थिक एवं सांख्यिकी, मध्यप्रदेश श्री ऋषि गर्ग ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि
> “हर शासकीय अस्पताल में प्रसव के बाद, माँ को डिस्चार्ज करने से पहले नवजात का जन्म प्रमाण-पत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए।”
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🛠️ बदलाव की ज़रूरत क्यों?
👉 आज के समय में जन्म प्रमाण-पत्र सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि
पहचान, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, पासपोर्ट, सरकारी योजनाओं और कई अन्य सुविधाओं के लिए अनिवार्य है।
👉 लेकिन अभी तक यह दस्तावेज प्राप्त करने में कई परिवारों को
समय, पैसा और श्रम खर्च करना पड़ता था।
👉 विशेषकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में यह प्रक्रिया और भी चुनौतीपूर्ण थी।
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🧩 क्या कदम उठाए गए हैं?
भारत सरकार के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा नागरिक पंजीकरण प्रणाली को आधुनिक और सुगम बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें की गई हैं:
1. 📘 जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में संशोधन
2. 🏛️ राज्य नियमों में जरूरी सुधार
3. 🌐 नए केंद्रीय CRS (Civil Registration System) पोर्टल का विकास
4. 💻 ऑनलाइन सिस्टम के ज़रिए प्रमाण-पत्र की त्वरित उपलब्धता
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🏥 सरकारी अस्पतालों पर विशेष ध्यान
🔹 कुल संस्थागत प्रसवों में 50% से अधिक प्रसव सरकारी अस्पतालों में होते हैं।
🔹 इसीलिए सबसे पहले इन्हीं अस्पतालों में यह नई व्यवस्था लागू की जा रही है।
🔹 अस्पताल स्टाफ को पोर्टल और प्रमाण-पत्र निर्माण की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।
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🎯 लाभ क्या होंगे?
✅ समय की बचत – प्रमाण-पत्र की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी।
✅ झंझट मुक्त प्रक्रिया – दस्तावेजों के लिए अलग से आवेदन नहीं।
✅ डिजिटल रिकॉर्ड – भविष्य में कभी भी ऑनलाइन प्राप्त किया जा सकेगा।
✅ आसान सरकारी सेवाएं – शिशु को सरकारी योजनाओं में जोड़ना सरल होगा।
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📢 मुख्य संदेश:
> “अब प्रत्येक शिशु का जन्म प्रमाण-पत्र वहीँ मिलेगा जहाँ उसका जन्म हुआ है – अस्पताल में ही, माँ की छुट्टी से पहले।”
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✨ निष्कर्ष
मध्यप्रदेश सरकार की यह पहल सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता, सरलता और तकनीकी उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह व्यवस्था न केवल नागरिकों की परेशानियाँ दूर करेगी, बल्कि नवजातों का समय पर पंजीकरण सुनिश्चित कर समाज में जागरूकता भी बढ़ाएगी।
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