पोरसा –
भास्कर ज्योतिषाचार्य और पूर्व वरिष्ठ पत्रकार, सुरेश चंद्र जैन (उम्र 74 वर्ष) का निधन पूरे क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति साबित हुआ है। उनका अंतिम संस्कार पोरसा स्थित मुक्ति धाम पर किया गया, जहाँ उनके पुत्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दुखद अवसर पर सैकड़ों लोग, राजनेता, समाजसेवी, पत्रकार और अन्य गणमान्य नागरिकों ने उनकी शव यात्रा में भाग लिया और श्रद्धांजलि अर्पित की। सुरेश चंद्र जैन का जीवन समाज सेवा और पत्रकारिता के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता का प्रतीक था।
आज उनके निजी निवास पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के सभी प्रमुख पत्रकार, समाजसेवी और उनके करीबी रिश्तेदार शामिल हुए। शोक सभा में शहर के पत्रकार साथियों के साथ-साथ स्थानीय गणमान्य लोग जैसे जयचंद जैन, प्रेमचंद अग्रवाल, विवेक जैन, कमल सिंह तोमर, सुभाष चंद्र जैन, सुनील जैन, राकेश कुमार जैन, संजय जैन, रामपाल सिंह तोमर, भुवनेश जैन (सॉफ्टवेयर इंजीनियर), महावीर जैन (अध्यक्ष, व्यापार संघ), नरेश चंद्र जैन, रवी सिंह तोमर, राहुल सिंह तोमर, ध्रुव जैन, राधा कृष्ण गुप्ता, सौर्र जैन, अग्रिम जैन, अथर्व जैन, संतोष जैन, विमल जैन, अशोक कुमार जैन, कमल जैन, अनिल जैन सहित अन्य कई गणमान्य नागरिक उपस्थित हुए।
इस शोक सभा का आयोजन खासतौर पर पत्रकारिता जगत के लिए एक संवेदनशील समय था, क्योंकि सुरेश चंद्र जैन ने न केवल अपने ज्ञान से बल्कि अपने लेखन और सामाजिक योगदान से पत्रकारिता को एक नई दिशा दी थी। पत्रकारों ने सुरेश जी के योगदान को याद करते हुए उनका आभार व्यक्त किया। उनके निधन से पत्रकारिता के क्षेत्र में एक बड़ा खालीपन आ गया है, क्योंकि सुरेश चंद्र जैन न केवल एक कुशल पत्रकार थे, बल्कि उनके पास सामाजिक मुद्दों को उजागर करने और जनहित की खबरों को सही तरीके से प्रस्तुत करने का एक अद्भुत हुनर था।
स्थानीय पत्रकारों ने इस शोक सभा में अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए, सुरेश चंद्र जैन के योगदान को न सिर्फ शब्दों से, बल्कि अपने कार्यों और उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर श्रद्धांजलि दी। पत्रकारिता के लिए उनके दृष्टिकोण, सत्य के प्रति उनकी निष्ठा और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के उनके प्रयासों को याद करते हुए, स्थानीय पत्रकारों ने शोक सभा के दौरान पांच मिनट का मौन धारण किया और मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
सुरेश चंद्र जैन का जीवन पत्रकारिता और समाज सेवा के अनमोल प्रतीक के रूप में सदैव याद किया जाएगा। उनके योगदान से प्रेरित होकर आने वाली पीढ़ी पत्रकारिता में सचाई और निष्पक्षता का अनुसरण करेगी। उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी, लेकिन उनके कार्यों और विचारों के जरिए वे हमेशा हमारे बीच रहेंगे।