पोरसा।
गोरखनाथ तोमर के बेटे, करण तोमर, विंडवा चंबल नदी में डूब गए थे और उन्हें ढूंढने के लिए एसडीईआरएफ टीम का रिस्क्यू ऑपरेशन लगातार तीन दिन तक जारी रहा। हालांकि, कठिन परिस्थितियों और चंबल नदी में मौजूद मगरमच्छों के खतरे के बावजूद टीम को कोई सुराग नहीं मिला। इस दौरान युवा नेता अर्जुन तोमर ने खुद को एक नायक साबित किया, जिन्होंने इस आपदा के समय अपने गांव और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभाया।
अर्जुन तोमर, जो रायपुर के एक युवा नेता हैं, ने न केवल अपनी नेतृत्व क्षमता को उजागर किया, बल्कि पूरे समुदाय को यह विश्वास दिलाया कि ऐसे कठिन समय में एकता और समर्पण के साथ हम किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं। उन्होंने न केवल स्थानीय लोगों की मदद की, बल्कि एसडीईआरएफ टीम के साथ मिलकर इस खोजी अभियान में भी सक्रिय रूप से योगदान दिया। अर्जुन तोमर का यह साहसिक और निस्वार्थ कार्य क्षेत्र में उन्हें और भी सम्मान दिला रहा है।
इस संकट के समय में उनकी प्रखर नेतृत्व क्षमता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना ने उन्हें रायपुर में एक जिम्मेदार और प्रभावशाली युवा नेता के रूप में स्थापित किया। उनका समर्पण और संघर्ष यह दर्शाता है कि वे किसी भी मुश्किल हालात में अपने लोगों के लिए हमेशा खड़े रहेंगे।
इस कठिन बचाव अभियान में महुआ थाना प्रभारी अमर सिंह राजावत, एएसआई दोहरे साहब, पहलवान जी अर्जुन तोमर, नेताजी रायपुर और एसडीईआरएफ की पूरी टीम ने मिलकर पूरा प्रयास किया, लेकिन चंबल नदी के खतरनाक वातावरण ने राहत कार्यों को और भी कठिन बना दिया। अब तक इस खोजी अभियान का कोई परिणाम नहीं निकला है, लेकिन अर्जुन तोमर की तत्परता और साहस को लेकर पूरे क्षेत्र में प्रशंसा हो रही है।
इससे यह साबित होता है कि मुश्किल हालात में अगर नेतृत्व सही दिशा में हो, तो किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। अर्जुन तोमर का यह कार्य एक प्रेरणा है, जो उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।