धरती के दर्द को समझो, संभालो इसका दामन – पोरसा में विश्व पृथ्वी दिवस पर जागरूकता की अनूठी पहल

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पोरसा (मुरैना)। पत्रकार विनय की रिपोर्ट।


“पृथ्वी हमारी माता है और हम सब उसके संतान हैं, इसकी रक्षा करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है,” — इन ओजस्वी शब्दों से प्रमुख वक्ता विजयपाल सिंह तोमर ने विश्व पृथ्वी दिवस पर आयोजित एक जागरूकता कार्यशाला की शुरुआत की। यह कार्यशाला शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पोरसा में आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनमानस को जागरूक करना था।

यह आयोजन जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक श्री सतीश सिंह तोमर के दिशा-निर्देशन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की गरिमामयी अध्यक्षता राधा शरण पुरोहित ने की। इस कार्यशाला का आयोजन श्री श्री 108 विजय रामदास शिक्षा एवं पर्यावरण समिति तथा पूनम समाज समिति पोरसा के संयुक्त प्रयासों से किया गया।

पर्यावरण से जुड़ी ज्वलंत समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए विजयपाल सिंह तोमर ने कहा, “आज विश्व तीन सबसे गंभीर संकटों—जल, जंगल और जमीन—से जूझ रहा है। धरती को सांस लेने में तकलीफ हो रही है और यह हमारी चेतावनी है।” उन्होंने बढ़ती जनसंख्या, अंधाधुंध औद्योगीकरण, नगरीकरण, जीवाश्म ईंधनों के अत्यधिक उपयोग और रासायनिक खेती को इसके प्रमुख कारणों के रूप में बताया।

प्रमुख सुझाव एवं समाधान: श्री तोमर ने कहा कि यदि हम सच में पृथ्वी को बचाना चाहते हैं, तो हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा:

प्लास्टिक और पॉलिथीन का उपयोग पूरी तरह से बंद करना चाहिए।

कचरे का पुनर्चक्रण (रीसायकल) और पुनः उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए और वनों का संरक्षण करना चाहिए।

सौर ऊर्जा और बायोगैस जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाना चाहिए।

रासायनिक खादों और कीटनाशकों का विवेकपूर्ण उपयोग करते हुए जैविक खादों को अपनाना चाहिए।

जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में सजग प्रयास करने होंगे।

पशु-पक्षियों से प्रेम करना और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति संवेदनशील होना आज की आवश्यकता है।


कार्यक्रम में परामर्शदाता मनीष शिवहरे, संगीता तोमर, और वैशाली शर्मा की उपस्थिति ने आयोजन को और सशक्त बनाया। पूनम समाज समिति की ओर से आशीष गुप्ता तथा श्री श्री 108 विजय रामदास शिक्षा एवं पर्यावरण समिति से राधाकृष्ण लहरिया भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

संदेश स्पष्ट था: अब समय आ गया है जब हम केवल ‘पृथ्वी दिवस’ मनाने तक सीमित न रहें, बल्कि धरती के लिए हर दिन कुछ करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं। यह आयोजन न केवल छात्रों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरा।


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