“ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से भूसा तस्करी जारी: पीपों का पुल बन गया संकट का पुल, प्रशासन बना मौन दर्शक”

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मुरैना ।।महुआ थाना क्षेत्र, मप्र-उप्र सीमा

(पत्रकार धर्मवीर/नीरज पचौरी)


जहां एक ओर शासन भारी वाहनों की आवाजाही पर सख्त प्रतिबंध लगाए हुए है, वहीं दूसरी ओर भूसा लदी ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रॉलियाँ खुलेआम मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश की ओर धड़ल्ले से दौड़ रही हैं। यह गंभीर मामला महुआ थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले उसेथ घाट स्थित पीपों के पुल का है, जो अब एक दैनिक समस्या बन चुका है।

प्रतिबंध के बावजूद ट्रैक्टर-ट्रॉली में क्षमता से कहीं अधिक भूसा भरकर उत्तर प्रदेश भेजा जा रहा है। यह न केवल प्रशासनिक नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहा है, बल्कि स्थानीय नागरिकों की जान को भी खतरे में डाल रहा है।

पीपों का पुल, जो अस्थायी और सीमित भार वहन करने वाला है, लगातार इन ओवरलोड वाहनों की चपेट में आकर बार-बार क्षतिग्रस्त हो रहा है।परिणामस्वरूप, आम जनता को 2 से 4 घंटे तक लंबे जाम में फँसना पड़ता है। न स्कूल बसें समय से निकल पा रही हैं, न एंबुलेंस, और न ही आम राहगीर।

इसके बावजूद, प्रशासन की ओर से कोई सख्त कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। न कोई चालान, न कोई धरपकड़ अभियान — मानो प्रशासन आँखें मूंदे बैठा हो।

स्थानीय निवासियों का कहना है:

“हर दिन पुल टूटने का डर, हर दिन जाम की आफ़त। अगर प्रशासन समय रहते नहीं चेता तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।”

अब सवाल यह है कि प्रशासन कब जागेगा? क्या हादसे का इंतज़ार किया जा रहा है?देखना यह है कि पीपों के पुल की यह दर्दभरी कहानी कब सुनी जाएगी, और क्या प्रशासन दोषियों पर शिकंजा कस पाएगा।


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