फाइलों में दफन हुई किसानों की ‘लाइफलाइन’: कांग्रेस की ऐसाह लिफ्ट इरिगेशन योजना को नहीं मिला जीवनदान, बीजेपी शासन में ठप पड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना

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पोरसा/चंबल डिवीजन।


किसानों की समृद्धि के लिए चंबल अंचल में कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई ‘ऐसाह लिफ्ट इरिगेशन योजना’ अब वर्षों से फाइलों में कैद होकर रह गई है। यह योजना, जिसे हजारों किसानों की आय बढ़ाने और सिंचाई संकट दूर करने के लिए तैयार किया गया था, बीजेपी सरकार के आने के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। किसानों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि यह योजना लागू होती, तो प्रतिवर्ष प्रत्येक किसान को एक से तीन लाख रुपये तक की अतिरिक्त आय संभव होती।

पूर्व जनपद पंचायत सदस्य एवं कृषि उपज मंडी समिति सदस्य राजपाल सिंह तोमर ने योजना को पुनः शुरू करने की मांग की है। उनका कहना है कि चंबल डिवीजन में खेती काफी हद तक बारिश और सीमित संसाधनों पर निर्भर है। कांग्रेस शासन में किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह योजना तैयार की गई थी, जिसमें चंबल नदी से पानी को लिफ्ट कर किसानों के खेतों तक पहुँचाने की व्यवस्था की जानी थी।


तोमर ने कहा:


“ऐसाह लिफ्ट इरिगेशन योजना किसानों की रीढ़ बन सकती थी। सिंचाई की स्थायी सुविधा मिलने से उत्पादन बढ़ता, आय बढ़ती और क्षेत्र की आर्थिक स्थिति सुधरती। लेकिन सरकार बदलते ही यह योजना न जाने किस फाइल में गुम हो गई।”

उन्होंने यह भी कहा कि इतने सालों के बाद भी न तो योजना का कोई अद्यतन ब्यौरा सार्वजनिक किया गया है, न ही इस पर कोई कार्यवाही दिखाई दी है। यह चिंता का विषय है, क्योंकि यह योजना हजारों किसानों के भविष्य से जुड़ी हुई है।


क्या था योजना का उद्देश्य:

चंबल नदी से लिफ्ट इरिगेशन के जरिए खेतों तक पानी पहुँचाना

बारिश पर निर्भरता कम करना

किसानों की आय में बढ़ोतरी करना (1 से 3 लाख रुपये तक प्रतिवर्ष)

सिंचाई के लिए स्थायी संसाधन उपलब्ध कराना


जनहित की माँग:


राजपाल सिंह तोमर ने प्रदेश शासन से मांग की है कि इस योजना को तुरंत पुनर्जीवित किया जाए और कार्य में तेजी लाई जाए। उनका कहना है कि किसानों के हितों की अनदेखी करना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र दोनों के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है।


एक ओर सरकार ‘डबल इनकम’ और ‘स्मार्ट एग्रीकल्चर’ की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी योजनाएँ फाइलों की धूल फाँक रही हैं। ऐसाह लिफ्ट इरिगेशन योजना को फिर से गति देना केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि किसानों के भविष्य को संवारने का मौका भी है।


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