*खबर का हुआ असर*
*कमिश्नर ने जिला शिक्षा अधिकारी और योजना अधिकारी शिक्षा को किया निलंबित*
*✍🏻संवाददाता कल्पना तिवारी रीवा✍🏻*
लंबी जद्दोजहद के बाद फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति मामले में जिला शिक्षा अधिकारी रीवा सुदामा लाल गुप्ता और योजना अधिकारी अखिलेश मिश्रा पर निलंबन की गाज गिरी है।वही सहायक संचालक राजेश मिश्रा पर फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं की गई है।गौरतलब है कि बृजेश कोल को फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति दिए जाने की खबर सबसे पहले मेरे द्वारा लिखी गई थी,जिसकी गूंज भोपाल तक हुई थी।बाद में पिछले एक वर्ष के सभी अनुकम्पा नियुक्ति मामलों की जांच कराई गई जिसमें बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था।अंततः खबर का असर हुआ और दो बड़े अधिकारियों का निलंबन हुआ।
कमिश्नर बी एस जामोद ने शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए हैं।कमिश्नर ने जिला शिक्षा अधिकारी सुदामालाल गुप्ता और योजना अधिकारी शिक्षा (उच्च पद प्रभार प्राचार्य हाईस्कूल)अखिलेश मिश्रा को निलंबित करने के आदेश दिए हैं। जारी अलग-अलग आदेशों के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति के 37 प्रकरणों की जाँच कराए जाने पर पाँच प्रकरणों में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने पर यह कार्यवाही की गई है।इस संबंध में कलेक्टर रीवा द्वारा दिए गए प्रस्ताव के आधार पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियम 1966 के तहत निलंबन की कार्यवाही की गई है।अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में गंभीर अनियमितता पाए जाने पर दोनों अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस दिया गया।जिसके बाद कई दिनों से दोनों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की अटकलें लगाई जा रहीं थीं। नोटिस का संतोषजनक उत्तर प्राप्त न होने पर काफी जद्दोजहद के बाद निलंबन की कार्यवाही की गई है। निलंबन अवधि में श्री गुप्ता तथा श्री मिश्रा का मुख्यालय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण कार्यालय रीवा निर्धारित किया गया है।दोनों अधिकारियों को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा।
वहीं सहायक संचालक राजेश मिश्रा के खिलाफ फिलहाल अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।गौरतलब है कि अनुकम्पा नियुक्ति घोटाले की जांच के दौरान फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति का पहला मामला तत्कालीन डी ई ओ गंगा प्रसाद उपाध्याय के हस्ताक्षर से जारी होना पाया गया था।जिसमें तत्कालीन लिंक अधिकारी राजेश मिश्रा ने अपनी टीप के साथ नियुक्ति की अनुशंसा की थी और डी ई ओ के पद से मुक्त होने के ऐन वक्त पहले राजेश मिश्रा ने गंगा उपाध्याय से हस्ताक्षर कराकर पहले से नियुक्ति पा चुके उसी परिवार की दूसरी सदस्य को नियुक्ति प्रदान कर दी थी।इसलिए फर्जी अनुकंपा नियुक्ति का मास्टर माइंड सहायक संचालक राजेश मिश्रा को ही माना जा रहा है।उसके बावजूद अभी तक राजेश मिश्रा के खिलाफ कोई कार्यवाही न होने से सवाल भी उठाए जा रहे हैं।जबकि लिपिक रमाप्रसन्न द्विवेदी को पूर्व में ही निलंबित कर उनके खिलाफ सिविल लाइन थाने में एफ आई आर दर्ज कराई गई थी।अब डी ई ओ और योजना अधिकारी के निलंबन के बाद उनके खिलाफ भी एफ आई आर दर्ज होने की संभावना बढ़ गई है।
*पुलिस की कार्यवाही पर उठ रहे सवाल*
गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में चर्चित हुए फर्जी अनुकंपा नियुक्ति घोटाले के बाद संबंधित लिपिक रामप्रसन्न द्विवेदी और कूटरचित दस्तावेजो के सहारे फर्जी तरीके से अनुकम्पा नियुक्ति लेने वाले छः अन्य आरोपियों के खिलाफ रीवा के सिविल लाइन थाने में एफ आई आर दर्ज कराई गई थी।लेकिन प्रदेश में जिले की छवि खराब करने वाले इतने बड़े मामले के आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया।महीने भर बाद भी एक भी आरोपी को गिरफ्तार न करने से सिविल लाइन थाने की पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं।यदि एक भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आ जाता तो सारे मामले और मामले के मास्टर माइंड तथा लेनदेन का पर्दाफाश हो जाता। लेकिन महीने भर बाद भी एक भी आरोपी के पुलिस की गिरफ्त में न आने से पुलिस की भूमिका संदिग्ध लग रही है।

