बुलडोजर बनाम संविधान: आदिवासियों पर अत्याचार के खिलाफ आदिवासी कांग्रेस का बड़ा विरोध

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🔴 आदिवासियों पर बुलडोज़र राज! — भाजपा सरकार के वन विभाग की मनमानी के खिलाफ आदिवासी कांग्रेस का राष्ट्रपति को ज्ञापन

“बेदखली नहीं, अधिकार चाहिए!” — शहडोल से उठी आदिवासी आवाज़, सरकार से मांगा संवैधानिक संरक्षण




शहडोल, मध्यप्रदेश | 30 जून 2025


मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर आदिवासी समुदायों को जंगलों से जबरन बेदखल करने का गंभीर आरोप लगाते हुए जिला आदिवासी कांग्रेस, शहडोल ने महामहिम राष्ट्रपति जी को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन जिला अध्यक्ष श्री प्रेमधारी सिंह मार्को के नेतृत्व में सौंपा गया, जिसमें सरकार से वन विभाग की अमानवीय कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाने और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।




📌 ज्ञापन का मूल विषय:

वन विभाग द्वारा आदिवासियों को अतिक्रमण के नाम पर बेदखल करने की अमानवीय व असंवैधानिक कार्यवाहियों पर रोक लगाना।




📍 देवास जिले में आदिवासियों पर अत्याचार का मामला

ज्ञापन में विस्तार से बताया गया कि 23 जून 2025 को देवास जिले के खातेगांव तहसील के ग्राम खिवनी में वन विभाग ने पुलिस बल के साथ मिलकर आदिवासी परिवारों के घरों पर बुलडोजर चला दिया। इस दौरान महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को मारपीट कर बेदखल किया गया। इससे पहले 14 जून को एक आदिवासी महिला के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया, परंतु न्याय दिलाने की बजाय पीड़िता के पति पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज कर दिया गया।




🌳 “जंगल आदिवासियों का है” – कानून का हवाला

ज्ञापन में Forest Rights Act, 2006 और Indian Forest Act, 1927 का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि आदिवासी समुदायों को पारंपरिक रूप से जंगलों में रहने, खेती करने और वन संसाधनों का उपयोग करने का कानूनी अधिकार है। लेकिन भाजपा सरकार पूंजीपतियों को संरक्षण देने के लिए इन अधिकारों को कुचल रही है।




🔍 प्रदेशभर में हो रहे बेदखली के मामले

ज्ञापन में कई जिलों जैसे:

बुरहानपुर – सामुदायिक वन पट्टों से वंचित आदिवासी

नर्मदापुरम – सेंचुरी के नाम पर विस्थापन

डिंडोरी (उमरिया व पीपरिया गांव) – पीढ़ियों से रह रहे बैगा आदिवासियों को हटाने की कोशिश

सीधी – 70 परिवारों के घर मानसून के बीच तोड़े गए

बैतूल (सीतलझीरी बांध) – ग्राम सभा की सहमति के बिना निर्माण

हरदा, विदिशा, कटनी – आदिवासियों की जमीनों पर गैर-आदिवासी कब्जा


इन सभी घटनाओं को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते हुए, आदिवासी कांग्रेस ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की।




📢 ज्ञापन की प्रमुख माँगें

1. वन अधिकार अधिनियम के तहत लंबित पट्टों को जल्द वितरित किया जाए।


2. देवास जिले में पीड़ित परिवारों के लिए टिन शेड, राशन और पेयजल की व्यवस्था हो।


3. जिनके मकान तोड़े गए, उन्हें मकान और जमीन पट्टे दिए जाएं।


4. दोषी अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर न्यायिक कार्रवाई हो।


5. ग्राम सभाओं की सहमति के बिना कोई भी विकास कार्य रोका जाए।


6. प्रशासनिक अधिकारियों को मानवाधिकार प्रशिक्षण दिया जाए।


7. कटनी जिले में बैगा आदिवासियों की जमीन की न्यायिक जांच हो।


8. ST मामलों की जिला स्तरीय निगरानी समितियाँ सक्रिय की जाएं।


9. राज्यभर में आदिवासी अधिकारों पर जनसुनवाई आयोजित की जाए।


10. सभी जिलों में आदिवासियों की जमीन पर कब्जा हटाकर उन्हें वापस दी जाए।






📸 ज्ञापन सौंपने पहुंचे पदाधिकारी

इस ज्ञापन कार्यक्रम में प्रमुख रूप से श्री प्रेमधारी सिंह मार्को, पुष्पराज सिंह, दाल प्रताप सिंह, ओंकार सिंह, विमल सिंह, सुजाता बैरागी, स्नेहा बैरागी, भगवानदीन सिंह, सरवन सिंह सहित आदिवासी कांग्रेस के कई पदाधिकारी मौजूद रहे।





जिला आदिवासी कांग्रेस ने चेताया कि यदि आदिवासी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा नहीं की गई और वन विभाग की तानाशाही पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो प्रदेशभर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। “बुलडोजर की ताकत से नहीं, संविधान की ताकत से चलेगा जंगल का न्याय”, यह संदेश ज्ञापन के माध्यम से सरकार तक पहुंचाया गया है।


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