📌 रिपोर्ट: संवाददाता, विनय की रिपोर्ट (8349627682)
📅 तिथि: 16 जुलाई 2025
ब्यौहारी (शहडोल) –
ग्राम पंचायत बरहाटोला के अंतर्गत विजहा तिराहा से ग्राम रामगढ़ तक लगभग 2 से 3 किलोमीटर लंबा संपर्क मार्ग वर्षों से बदहाल स्थिति में है। अब यह समस्या ग्रामीणों के लिए केवल एक असुविधा नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु का सवाल बन चुकी है। जर्जर सड़क की हालत को लेकर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता एवं भीम आर्मी भारत एकता मिशन के मण्डल संयोजक चंद्रशेखर साकेत ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत ब्यौहारी को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है।
सड़क नहीं, मुसीबत की राह
ज्ञापन में बताया गया कि यह मार्ग ग्रामीणों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, राशन, बैंकिंग और आपातकालीन सेवाओं तक पहुंचने की एकमात्र कड़ी है। लेकिन आज इसकी हालत इतनी खराब हो चुकी है कि न दोपहिया वाहन चल पाए, न एम्बुलेंस सेवा सुचारु रह पाए। कीचड़, गड्ढे और उखड़े हुए पत्थरों ने राहगीरों की जान सांसत में डाल रखी है।
मानसून बना और भी विकराल
वर्षा ऋतु में हालात और भी भयावह हो जाते हैं। गड्ढों में पानी भर जाने से दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। स्कूली बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि 3 दिवस के भीतर सड़क की मरम्मत हेतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, तो वे सड़क पर उतरकर घेराव व चक्का जाम जैसे आंदोलनात्मक कदम उठाने को विवश होंगे।
प्रशासन की उपेक्षा बनी चिंता का कारण
चंद्रशेखर साकेत ने अपने ज्ञापन में प्रशासनिक उपेक्षा को भी जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन आज तक कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया। इससे न केवल क्षेत्र का सामाजिक और आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है, बल्कि जनता का भरोसा भी डगमगाने लगा है।
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प्रमुख समस्याएँ इस प्रकार हैं:
1. गड्ढों से भरी सड़कें – वाहन चालकों के लिए जानलेवा।
2. लगातार जलभराव – बारिश में सड़क पूरी तरह लुप्त हो जाती है।
3. एम्बुलेंस सेवाएँ प्रभावित – गंभीर मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते।
4. शिक्षा व्यवस्था ठप – छात्र-छात्राओं का स्कूल पहुंचना मुश्किल।
5. आर्थिक नुकसान – किसानों और व्यापारियों की आवाजाही बाधित।
6. प्रशासन की अनदेखी – वर्षों से मांगों के बावजूद कोई समाधान नहीं।
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क्या प्रशासन अब भी जागेगा?
ग्रामीणों की मांग साफ है – इस सड़क की तत्काल मरम्मत कराई जाए। यह केवल विकास की बात नहीं, बल्कि मानवाधिकारों से जुड़ा मामला है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गूंगी चुप्पी को तोड़कर जनहित में क्या कदम उठाता है।
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