पत्रकार बालेंद्र तिवारी
रीवा की वेशकीमती जमीनों को समदडिया बिल्डर्स ने इस तरह से हड़प लिया कि किसी को जानकारी तक नही मिल माई इसके बाद विपक्ष चीखता रहा चिल्लाता रहा लेकिन उसकी आवाज को इस तरह दवाया गया कि कोई जुबान खोलने के पहले ही उसकी जुबान या तो पैसे से दबा से दबा जी जाती है नही तो कानूनन मामले में दबाने का प्रयास किया जाता है इतना नही कुछ गुर्गे उन्होंने ऐसे पाल रखे हैं जो अपने आप को ताकतवर बात कर उनका संरक्षण बताते हैं रीवा के इतिहास में ऐसा कोई बाहरी बिल्डर नही आया जो रीवा को चैलेंज करें लेकिन समदडिया बिल्डर्स ने लोगों की पिसाब तक बंद कर दिया न्यू बस स्टैंड में पिसाब करने के पहले समदडिया बिल्डर्स का नाम लीजिए नही तो पेशाब बंद कर देंगे उसके गुर्गे, आज रीवा से यात्रा करने वाले दहसत में है चाहे वह किसी भी स्टेट हो उनको यह खामियाजा उठाना पड़ता है और पेशाब करने के 50 रूपये देने पड़ते हैं जबकि वह संरक्षित जगह में जाते हैं शौचालय से लेकर अन्य जगह में यह व्यवस्था फ्री होती है लेकिन रीवा में समदडिया बिल्डर्स इसके पैसे वसूलता है यह कहना है उसके गुर्गों का , इतना ही नही इसके गुर्गे बस टैक्सी,ठेला, गोमती से भी अबैध तरीके से दवाव बना कर अवैध वसूली करते हैं आखिर इनको किसका संरंक्षण है बस स्टैंड में इनको अवैध वसूली का अधिकार किसके द्वारा दिया गया है
अगले लेख में होगा बड़ा खुलासा
