उमरिया, 22 नवम्बर:
ठंडी के मौसम में वायु प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच जाता है, और ऐसे में जिलाधीश ने जिले में पराली जलाने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश जारी किया है। यह कदम दिल्ली जैसी परिस्थितियों को जिले में उत्पन्न होने से बचाने के लिए उठाया गया है।
21 नवम्बर 2024 को जिला कलेक्टर उमरिया ने पराली जलाने को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2024 की धारा 163 के तहत दंडनीय और निषेधात्मक घोषित किया है। जिलाधीश ने बताया कि जिले में अधिकांश खेतों की कटाई कंबाइंड मशीनों (हार्वेस्टर) द्वारा की जाती है, जिससे गेहूं और धान की नरवाई (पैरा या भूसा) निकलती है। हालांकि, किसानों द्वारा इसे पशुओं के लिए चारा बनाने के बजाय जलाए जाने से पर्यावरण और मृदा पर कई नकरात्मक प्रभाव पड़ते हैं।
नरवाई जलाने से न केवल मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीव मर जाते हैं, जो मृदा की उर्वरता बनाए रखने में मदद करते हैं, बल्कि यह पराली को जलाने से प्रदूषण भी बढ़ता है, जिससे हवा में धुंआ और खतरनाक गैसें घुल जाती हैं। इस प्रदूषण का गंभीर असर मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ता है। साथ ही, यह अग्नि से किसानों की फसलें भी प्रभावित हो रही हैं और जंगलों में भी आग फैलने का खतरा बना रहता है।
जिलाधीश ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए हैं, और साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि धान और गेहूं की नरवाई जलाने को भारतीय नागरिक संहिता की धारा 223 के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा। यह आदेश 21 नवम्बर 2024 से जिले की सभी सीमाओं में लागू हो चुका है।
यह आदेश प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरणीय सुरक्षा और कृषि क्षेत्र में होने वाले नुकसान से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।