विनय मेहरा की कलम से…!
पोरसा का मुक्तिधाम, जो आज एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है, न केवल भारत, बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है। यह स्थल “सत्यम, शिवम्, सुंदरम” के अद्भुत सिद्धांत पर आधारित है, जहाँ ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का संगम होता है। यह स्थान आध्यात्मिक शांति, मानसिक शुद्धता और शारीरिक कल्याण का प्रतीक बन चुका है।
बसंत ऋतु के शुभ अवसर पर पोधों का रोपण
बसंत ऋतु के पवित्र समय में, कलशों में पोधों का रोपण किया गया। इन कलशों में बारह राशियों के नाम अंकित किए गए हैं – मेष से मीन तक, और प्रत्येक सोमवार से रविवार तक, यहां आने वाली आत्माओं की स्मृति में स्नेक पलांट का पौधा लगाया गया है। इन पौधों की विशेषता यह है कि वे नकारात्मक ऊर्जा का नाश करते हैं और वातावरण को सकारात्मक और शांति से भर देते हैं। यह पौधा मुक्तिधाम के वातावरण को और भी मनमोहक और आध्यात्मिक बनाता है।
मुक्तिधाम का आकर्षक और अद्वितीय सौंदर्य
पोरसा का मुक्तिधाम न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक अद्भुत, मनमोहक और अकल्पनीय स्थान भी है। यहां, नर-नारी के लिए व्यायाम की सुविधाएं, फिसल पट्टी, झूला और योग की प्रैक्टिस की व्यवस्था की गई है, जो प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटकों को आकर्षित करती है। यह स्थल शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शांति की ओर मार्गदर्शन करता है।
मुक्तिधाम का अंतरराष्ट्रीय सम्मान
मुक्तिधाम की उत्कृष्टता और परवरिश के कारण यह स्थल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो चुका है। यहाँ आने वाले पर्यटक न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए आते हैं, बल्कि यह स्थल एक जीवंत और गतिशील पर्यटन केंद्र बन चुका है, जहां हर किसी को शांति और सौंदर्य का अनुभव होता है।
पोरसा का मुक्तिधाम एक अद्भुत स्थल है, जहां आत्मा की शांति और पर्यावरण की शुद्धता दोनों का अनुभव होता है। यह न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक प्रेरणास्त्रोत भी है, जो हर किसी को जीवन के सर्वोत्तम मार्ग की ओर प्रेरित करता है।