चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर भटिया मंदिर में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

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शहडोल। आशीष त्रिपाठी की रिपोर्ट।

चैत्र नवरात्रि का पर्व हर वर्ष देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भटिया मंदिर, जो शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध है, भक्तों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन जाता है। पहली नवरात्रि के दिन ही भटिया मंदिर में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर की खूबसूरत साज-सज्जा और गुम्बद ने भक्तों का मन मोह लिया।

माता रानी का मंदिर – एक ऐतिहासिक स्थल

भटिया मंदिर, जो जिले के लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है, माता रानी की पूजा-अर्चना के लिए भक्तों के बीच प्रसिद्ध है। यहां माता सिंहवाहिनी देवी की विशाल प्रतिमा विराजमान हैं। इस मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता बहुत गहरी है। बताया जाता है कि यह मंदिर कलचुरी काल का है और पहले यह घासफूस से बना हुआ था। 1970 में श्री शंकराचार्य महाराज जी ने आम जन सहयोग से यहां विशाल श्री लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन किया, जिसके बाद मंदिर के विकास कार्य की शुरुआत हुई। अब यह मंदिर विशाल रूप में भक्तों की सेवा में समर्पित है।

नवरात्रि में मंदिर की विशेष सजावट और व्यवस्था

मंदिर के संचालन और व्यवस्था का जिम्मा तहसीलदार सुश्री अर्चना मिश्रा ने संभाला है। वे न केवल स्वयं मंदिर में उपस्थित रहती हैं, बल्कि प्रशासनिक अमले को सक्रिय रूप से दिशा-निर्देश देती हैं ताकि मेला और भंडारे की व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके। इस साल भी नवरात्रि के पहले दिन तहसीलदार ने स्वयं माता रानी को भोग अर्पित किया और इसके बाद कन्या भोज कराकर भंडारे की शुरुआत की।

मंदिर और मेला क्षेत्र में हर एक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए प्रशासन ने विशेष ध्यान दिया है। सुरक्षा, यातायात, और अन्य सुविधाओं की बारीकी से निगरानी की जा रही है ताकि भक्तों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो।

माँ के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं भक्त

मंदिर की ख्याति केवल जिले तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त यहां आकर माता रानी के दर्शन करते हैं। शहडोल, बुढ़ार, अनूपपुर, कोतमा, व्योहारी जैसे आसपास के क्षेत्रों के अलावा, रीवा, सिंगरौली, सीधी, और मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश जैसे अन्य राज्यों से भी भक्त यहां आते हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान यह भीड़ और भी अधिक बढ़ जाती है।

मंदिर के आस-पास की धार्मिक मान्यताएं

भटिया मंदिर से जुड़े कई धार्मिक तथ्य और मान्यताएं भी हैं। देवी तालाब, जो मंदिर के उत्तर दिशा में स्थित है, इसका आकार लगभग 10 एकड़ है। यहां कुछ विशेष ध्वनियां सुनाई देती हैं, जिनका उल्लेख पूर्वजों ने किया है। मान्यता है कि इस तालाब के बीच में एक सोने का मंदिर है, और सुबह के समय 3 से 4 बजे के बीच शंख और घड़ियाल की ध्वनि सुनाई देती है।

माँ सिंहवाहिनी का महत्व

माँ सिंहवाहिनी को विद्या, बुद्धि और कला की देवी के रूप में पूजा जाता है। यह विशेष रूप से छात्रों और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए पूज्यनीय हैं। माँ की पूजा से भक्तों को सुख-समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

भटिया मंदिर का ऐतिहासिक संदर्भ

भटिया मंदिर के पास स्थित ग्राम कोल्हुआ में सीता माता द्वारा बनाया गया चौक आज भी मौजूद है, जिसे सीता चौक के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही पांडवों के वनवास के दौरान यहां बिताए गए समय और भीष्म के निवास के प्रमाण भी गांव के इतिहास में शामिल हैं।

नवरात्रि का मेला और उसकी साज-सज्जा

भटिया मंदिर के नवरात्रि मेले की सजावट हर वर्ष की तरह इस बार भी भव्य और आकर्षक है। भक्तों की सेवा और मंदिर की सुंदरता में प्रशासन और ट्रस्ट के लोग अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि मेला और मंदिर की व्यवस्था आदर्श रूप में चल सके।

इस साल भी प्रशासन और ट्रस्ट की मेहनत से मेला और मंदिर की व्यवस्थाओं ने भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान बना लिया है। इस पावन अवसर पर, भटिया मंदिर एक बार फिर से अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व को जीवित कर रहा


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