—
भारत जैसे देश में, जहाँ संविधान प्रत्येक नागरिक को शिक्षा और गरिमामय जीवन जीने का अधिकार देता है, वहाँ आज भी लाखों बच्चे बचपन का भार ढोते हुए बाल मजदूरी में लगे हुए हैं। 12 जून, जिसे हम विश्व बालश्रम निषेध दिवस के रूप में मनाते हैं, यह दिन केवल प्रतीक नहीं, बल्कि एक चुनौती है — हमारे देश और समाज के सामने।
—
बालश्रम: परिभाषा और मूल तथ्य
बालश्रम से आशय है: 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मजदूरी कराना या काम लेना, जिससे उनका मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास बाधित होता है। भारत सरकार ने 1986 और उसके बाद के संशोधनों में इसे कानूनी अपराध घोषित किया है।
—
भारत में बालश्रम की वर्तमान स्थिति (2025 तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर)
10.1 मिलियन (1 करोड़ 1 लाख) बच्चे अभी भी बालश्रम में संलग्न हैं (जनगणना 2011 के अनुसार; नया डेटा अपेक्षित)।
इन बच्चों में से लगभग 70% कृषि क्षेत्र, 20% घरेलू सेवा या होटल आदि में और 10% खनन, निर्माण जैसे खतरनाक कार्यों में लगे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश बालश्रम के प्रमुख केंद्र हैं।
UNICEF के अनुसार, कोविड-19 और उसके बाद की आर्थिक गिरावट ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
—
मध्य प्रदेश में बालश्रम की स्थिति
मध्य प्रदेश, जहाँ एक ओर जनजातीय और ग्रामीण जनसंख्या अधिक है, वहीं दूसरी ओर बालश्रम की समस्या भी व्यापक है।
अनुमानतः 7 लाख से अधिक बाल मजदूर प्रदेश में कार्यरत हैं।
धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, और शहडोल जैसे जिले अत्यधिक प्रभावित हैं।
UNICEF की रिपोर्ट बताती है कि 87% बाल श्रमिक ग्रामीण इलाकों में हैं और उनमें से अधिकांश शिक्षा से वंचित हैं।
बालिकाएँ घरेलू कार्यों और मजदूरी में लगाई जाती हैं जबकि बालक निर्माण, ढुलाई, होटल और खेती जैसे कार्यों में।
—
बालश्रम के प्रमुख कारण
1. आर्थिक असमानता और गरीबी:
जब परिवारों की जीविका चलाने के लिए संसाधन नहीं होते, तब बच्चों को भी आय अर्जन के साधन के रूप में देखा जाता है।
2. शिक्षा का अभाव या स्कूल से दूरी:
कई इलाकों में स्कूल या तो दूर हैं, या शिक्षा की गुणवत्ता इतनी कमजोर है कि बच्चों को पढ़ाई में रुचि नहीं रहती।
3. सामाजिक कुरीतियाँ और पारिवारिक दबाव:
कुछ क्षेत्रों में यह सामान्य समझा जाता है कि “बच्चे को कमाने दो”, या “पढ़ाई से रोटी नहीं मिलती” — यह सोच भी बच्चों को श्रमिक बना देती है।
4. श्रमिकों की मांग:
होटल, चाय दुकान, घरेलू काम, और कुटीर उद्योगों में बच्चों को सस्ते श्रमिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
5. कानूनी जागरूकता की कमी:
लोगों को यह नहीं पता कि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को मजदूरी पर रखना एक गंभीर अपराध है।
—
भारत में कानून क्या कहता है?
बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम 1986, संशोधित 2016 के अनुसार:
14 वर्ष से कम बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम लेना अवैध है।
14 से 18 वर्ष तक के किशोर खतरनाक उद्योगों में कार्य नहीं कर सकते।
दंड: ₹20,000 से ₹50,000 तक का जुर्माना या 2 वर्ष तक की सजा, या दोनों।
खतरनाक उद्योगों की सूची में शामिल हैं:
पटाखा उद्योग, ईंट भट्टे, खनन, केमिकल फैक्ट्रियाँ, घरेलू नौकरियाँ, कचरा बीनना, आदि।
—
समस्या का समाधान क्या हो?
1. शिक्षा की अनिवार्यता और गुणवत्ता:
RTE Act (Right to Education) के तहत सभी बच्चों को 6-14 वर्ष की आयु तक निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है, लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग है।
शिक्षा को सिर्फ अधिकार नहीं, अवसर और प्रेरणा बनाना होगा।
2. सरकारी योजनाओं की पहुँच:
PM-POSHAN योजना (मिड डे मील)
लाडली लक्ष्मी योजना (मध्य प्रदेश विशेष)
बाल संरक्षण समितियाँ और पंचायत स्तर पर निगरानी
इन योजनाओं का सही कार्यान्वयन बच्चों को शिक्षा की ओर मोड़ सकता है।
3. सामाजिक चेतना और निगरानी:
समाज के हर नागरिक को यह समझना होगा कि बालश्रम देखना और चुप रहना भी अपराध के बराबर है।
—
यदि आप बालश्रम देख रहे हैं तो शिकायत कैसे करें?
👉 चाइल्डलाइन नंबर: 1098 – यह 24×7 काम करने वाली हेल्पलाइन है।
👉 पुलिस हेल्पलाइन: 100
👉 पेंसिल पोर्टल: www.pencil.gov.in
👉 जिला कलेक्टर कार्यालय या महिला एवं बाल विकास विभाग में जाकर प्रत्यक्ष शिकायत दर्ज की जा सकती है।
👉 शहडोल जिला में भी चाइल्डलाइन की यूनिट कार्यरत है, जो तत्काल रेस्क्यू कर सकती है।
—
बालश्रम रोकना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी है।
बाल मजदूरी से मुक्त एक समाज ही असल में समृद्ध, शिक्षित और नैतिक रूप से मजबूत समाज होगा।
हर बच्चा देश की पूंजी है – उसे मजदूर नहीं, विद्यार्थी बनाइए।
—
“बचपन को बचाइए, देश का भविष्य बचाइए।”
(यदि आप इस लेख को किसी विशेष जिले या समाचार पत्र के लिए संपादित करना चाहते हैं, तो मैं आपकी आवश्यकतानुसार रूपांतरण कर सकता हूँ।)
