मुरैना, म.प्र.।
जिले के पशुपालन विभाग में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं और शासकीय योजनाओं के फर्जी क्रियान्वयन का सनसनीखेज मामला सामने आया है। ग्राम भजपुरा और पोरसा क्षेत्र से संबंधित नागरिकों महेश सिंह तोमर और सीताराम सिंह तोमर ने जिला प्रशासन और सीएम हेल्पलाइन पर गंभीर शिकायतें दर्ज की हैं, जिन पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
शिकायतकर्ता महेश सिंह तोमर द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायत क्रमांक 28534559 व 28655339 के अनुसार पोरसा में पदस्थ पशु चिकित्सक डॉ. विल्केश शर्मा द्वारा ‘इनाफ योजना’, कृतिम गर्भाधान, पशु टीकाकरण, और टैगिंग के नाम पर विभाग को वर्षों से गुमराह कर लाखों रुपये का गबन किया जा रहा है।
उनका आरोप है कि पशुओं की टैगिंग और वैक्सीनेशन केवल कागज़ों पर किया गया, जबकि ज़मीनी स्तर पर वास्तविकता शून्य है। यही नहीं, इन गड़बड़ियों की जानकारी उपसंचालक (डीडीवीएस) डॉ. राममोहन स्वामी और जेडी डॉ. रामकुमार त्यागी को भी दी गई, लेकिन अब तक कोई जांच या दंडात्मक कार्यवाही नहीं की गई।
फर्जी रिपोर्टिंग से शिकायतें भी दबाई जा रही हैं
महेश सिंह का कहना है कि डॉ. विल्केश शर्मा एल-1 अधिकारी होने के नाते सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों पर झूठी और भ्रामक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं, जिससे उच्चाधिकारी शिकायतों को ‘फोर्सफुली क्लोज’ कर देते हैं।
इतना ही नहीं, आरटीआई कार्यकर्ता सतेन्द्र शर्मा द्वारा दिनांक 16.05.2023 को मांगी गई जानकारी पर भी आज तक विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया।
मानदेय रोककर शोषण, और फर्जी समितियों से सच्चाई छिपाने का आरोप
दूसरी ओर, सीताराम सिंह तोमर, जो मैत्री योजना के तहत मानपुर रजपूती पशु औषधालय में कार्यरत हैं, ने बताया कि उन्हें पिछले डेढ़ वर्ष से मानदेय नहीं दिया गया है। उन्होंने सीएम हेल्पलाइन के साथ-साथ जिला जनसुनवाई में भी दो बार आवेदन दिया, लेकिन हर बार उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया गया।
उनके अनुसार विभाग ने एक फर्जी समिति गठित की, जिसमें डॉ. पीएस भदौरिया, डॉ. पंकज गुप्ता और डॉ. विल्केश शर्मा ने एक ‘मनगढ़ंत सूची’ तैयार कर उनके दावे को गलत साबित करने की कोशिश की।
सीताराम सिंह का आरोप है कि इन अधिकारीयों द्वारा ‘इनाफ योजना’, कृतिम गर्भाधान, वैक्सीनेशन और पशु टैगिंग के नाम पर पूरी कार्यवाही सिर्फ फाइलों में की जाती है, जबकि हकीकत में कोई भी ज़मीनी काम नहीं होता। इसके बावजूद प्रतिवर्ष लाखों का भुगतान किया जाता है।
जांच न होने से बढ़ रहा भ्रष्टाचार, स्थानांतरण नीति भी ठप
शिकायतकर्ता ने यह भी मांग रखी है कि किसी भी डॉक्टर को एक ही स्थान पर 10 वर्षों से अधिक न रखा जाए, ताकि भ्रष्टाचार को रोका जा सके और योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंच सके। लेकिन यह स्पष्ट है कि जिला प्रशासन और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस ओर आंख मूंदे हुए हैं।
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मांग – निष्पक्ष जांच, दोषियों पर कार्रवाई और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए
इस गंभीर प्रकरण को देखते हुए ज़रूरी है कि:
सभी संबंधित अधिकारियों की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
फर्जी सूची तैयार करने वालों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हो।
शिकायतों को जबरन बंद करने की बजाय स्वतंत्र एजेंसी से सत्यापन कराया जाए।
लंबित मानदेयों का तत्काल भुगतान हो।
वर्षों से जमे अधिकारियों का तत्काल स्थानांतरण किया जाए।
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क्या जिले की व्यवस्था इसी तरह चलेगी?
जब एक ओर सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं को प्रभावी बनाने के प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसे मामले प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। मुरैना जैसे संवेदनशील जिले में यदि योजनाएं सिर्फ फाइलों तक सीमित रह गईं तो इसका नुकसान सबसे ज़्यादा आम जनता को उठाना पड़ेगा।
अब देखना यह है कि क्या जिलाधिकारी महोदय इन गंभीर शिकायतों को संज्ञान में लेकर कड़ी कार्यवाही करेंगे या फिर यह मामला भी अन्य अनगिनत शिकायतो की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।