खाकी वर्दी धारी के साथ तथाकथित पत्रकारों के भी हांथ गांजा तस्कर के साथ रहा बातचीत के साथ ऑडियो व फोटोस भी सामने आई जल्द किया जाएगा वायरस….
रीवा जिले के मनगवां थाना मे अंतरराज्यीय गांजा तस्कर जितेंद्र जायसवाल उर्फ भोले जायसवाल को मनगवां थाना प्रभारी वर्षा सोनकर अपनी जान को जोखिम में डालकर गांजा तस्कर को एक सप्ताह पहले आधी रात को 150 के रफ्तार मे टाप क्लास की न्यू ब्रांड स्कार्पियो सडक मे फिल्मी अंदाज से सरपट दौड रही थी जिसे वाटेड आरोपी के साथ 50 लाख रु की गाडी व गाजा नकदी के साथ
पकडा गया । पकडे गए गांजा तस्कर के खिलाफ जिले के मनगवां थाना मे तीन से अधिक आबकारी के साथ एसडीपीएस के अपराध दर्ज रहे साथ ही सगरा थाना मे भी एमडीपीए अपराध के साथ जिले के अन्य थानों के साथ – साथ डिंडोरी पुलिस थाने मे व छत्तीसगढ़ , उड़ीसा स्टेट में भी सातिर वाटेड गांजा तस्कर भोले जायसवाल के खिलाफ अपराध एनडीपीएस के तहत दर्ज है। और मनगवां व अन्य थाने की पुलिस 2013 से 2025 तक यानी एक दशक से अधिक समय से इस अंतरराज्यीय गांजा तस्कर को गिरफ्तार नहीं कर पाई बड़ी बात तो यह है कि इसी रीवा शहर के अंदर उक्त तस्कर इटौरा बाईपास से आलीशान करोडो के लागत से घर बना कर रहा था रघुनाथगंज और देवतालाब के बीच लकड़ी का बड़ा टाल भी संचालित किया था साथ ही मनगवां थाना के मढी कला में इसका पुराना घर रहा और निरंतर हर एक दिन खुलेआम आता – जाता रहा लेकिन मजाल क्या किसी का की गांजा तस्कर का लेकेशन लीकेज कर दे क्यू की लेकेसन देकर निकालने वाले वार्दीधारी उक्त गांजा तस्कर के जेब मे पैक रहते थे फिर क्यूं नही एवज मे बडी वाली पगार मिलती थी। पुलिस गद्दार की फौज उसके साथ थी इसीलिए कारण था कि पल-पल का लोकेशन ट्रेस होकर विधवत छन कर गांजा तस्कर भोला जायसवाल के पास पुलिस के मुखबिर के द्वारा पहुंचाई जा रही थी। बड़ी बात तो यह है कि मनगवां थाना मे पदस्थ लेडी पुलिस इंस्पेक्टर थाना प्रभारी ने वह करके दिखा दिया जो किसी ने नहीं किया बड़े-बड़े वर्दीधारी मर्दानी वीरों को पीछे धकेलते हुए अपनी जान को जोखिम में डालते हुए गांजा तस्कर को पकड़ने में सफलता हासिल की इतना ही नहीं लेडी पुलिस इंस्पेक्टर वर्षा सोनकर पर व उनके टीम पर कई बार नई स्कॉर्पियो एस 11 उनके ऊपर चढ़ाकर हत्या करने का प्रयास किया लेकिन “जाको राखे साइयां, मार सके न कोई” यह एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है।… जिसका अर्थ है कि “जिसकी रक्षा भगवान करते हैं, उसे कोई मार नहीं सकता” या “ईश्वर जिसका रक्षक है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता”.
हुआ भी मनगवां की लेडी पुलिस इस्पेक्टर के साथ व उनके पुलिस टीम के साथ लेकिन किसा का भी बाल बांका नहीं हुआ इतना सब कुछ होने के बावजूद भी इस गांजा तस्कर से एक नही कई वर्दीधारी गांजा तस्कर के साथ अप्रत्याशित तौर परअपने काम पर डटे रहे वाबजूद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के द्वारा पूरे सप्ताह का दिन निकल जाने के बाद एक भी पुलिस के गद्दार फौज पर कार्यवाही नहीं की जा सकी। और अभी भी वे सभी गद्दार पुलिस कर्मी उसी थाने मे तैनात रहकर अपना काम उसी तर्ज पर जारी कर रखे है। वहीं दूसरी ओर दागी गद्दार पुलिस कर्मी थाने में तैनात है और अपनी लबी चौडी डींग का महौल जमा रखे है।
जिन पुलिस कर्मियों की वाटेड गांजा तस्कर से बात हो रही थी उस गांजा तस्कर की रिकॉर्डिंग और कॉल डिटेल भी सामने आए हैं?….
यहां तक की जिस वक्त मनगवां थाना पुलिस टीम गांजा तस्कर को नाकेबंदी कर पकाडने निकली थी उस वक्त भी गांजा तस्कर के पास लोकेशन दे दिया गया था..? बावजूद वह नहीं बच सका आखिरकार ऐसा क्यूं मतलब समझा जाए तो एक तरह से खाकी के संरक्षण में खुलेआम एक दशक के अधिक समय से गांजा तस्कर और पुलिस के बीच रामलीला चला रहा और पुलिस क्यों नहीं पकड़ पाई सवाल है लेकिन इस घटना को लेकर पुलिस अधिकारियों द्वारा भी चुप्पी साध रखी गई है अब इस चुप्पी का राज क्या है उसका जबाब उन्ही जिम्मेदार पुलिस के आला अफसरो के पास मौजूद है। हाला की वैसे देखा जाए तो घटनाओ का खुलासा करने पुलिस के आला अफसर बडी- बडी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लंबी चौडी कहानी गढ कर वाहवाही लूटते है लेकिन इस स्कलैडल मे चुप्पी के बाद तो सवाल लाजमी बनते है।

पुलिसकर्मी के साथ तथाकथित पत्रकार भी पीछे नहीं
इतना ही नहीं गद्दारों की फौज बड़ी है गांजा, शराब, नशीली कफ सिरप तमाम प्रकार के मादक तस्करों को धंधे में फायदे पहुंचाने और उनके धंधे को सफल बनाए जाने के लिए पुलिस तो पहले से ही बदनामी मिलती रही लेकिन साथ में चौथा स्तंभ जिसे पत्रकार कहा जाता भले है भले ही पत्रकार केवल नाम मात्र को ही ना हो लेकिन उनके द्वारा भी पत्रकार का चोला पहन कर और पत्रकारिता की अपनी कलम को सजाकर पुलिस से वार्तालाप करने के बाद इस गांजा तस्कर से भी बात किया जाता रहा हर हर महीना पत्रकार अपने सेहत के अनुसार मोटी पतली माहवारी लेते रहे इतना ही नहीं वाटेंड गांजा तस्कर भोला जायसवाल और तथाकथित पत्रकारों के बीच महीना बढ़ाए जाने की ही बातचीत सामने आई है समझा जाता है कि अपराध करने में जो भी शामिल हो और यदि उनके सहभागिता का प्रमाण मिलता है तो उनके खिलाफ भी अपराधिक सलंग्नता में इस धारा के तहत अपराध दर्ज किया जाना चाहिए जिस धारा के तहत पकड़े गए आरोपों के खिलाफ की गई हो लेकिन पुलिस अधिकारी ऐसा क्यों नहीं कर पा रहे हैं यह समझने की जरुरत है एक तरफ कानून की दुनिया भर मे व्याख्यान किया जाता है तो दूसरी तरफ कानून को हवा में उड़ाया जाता है और अब तो देखने को मिल रहा है। की हवा तूफान मे बदलकर कानून को उड़ाया जा रहा है यह कहना कितना सही है य की गलत उन्हीं को मालूम होना चाहिए जो कानून के रखवाले है हाला की सवाल तो बहेत है लेकिन बनावटी जवाब भी…?
गांजा शराब वांटेड तस्करों के साथ पुलिस कर्मियों की सेल्फी फोटोस भी सामने…!
इतना ही नहीं निडर खाखी वर्दी धारी के साथ किसी न किसी कार्यक्रम पार्टी या एकांतवास में गांजा व शराब के वांटेड तस्करों के साथ फोटो खींची जा रही है और उनकी फोटोस भी तस्कर के मोबाइल में मिले हैं इतना ही नहीं सफेद कुर्ता पजामा के साथ काली जैकेट में तस्कर और पुलिसकर्मी की फोटो चर्चाओं के बीच में धमाल बचा कर रखी है। और यह फोटो जिले के पुलिस अधिकारियों के पास पहुंच चुकी है..? देखी जा चुकी है! बावजूद ऐसे दृश्यो को देखने के बाद पुलिस अफसर क्यू सूर्यदास के भूमिका पर है यह तो वही जानसकते है।
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