—
बरसात के बाद जब शहर की सड़कें पानी से भर जाती हैं, तो एक अनोखी तस्वीर उभरती है — एक ऐसी दुनिया जो ज़मीन पर नहीं, बल्कि उसके ऊपर जमी नन्ही-नन्ही झीलों में बसती है। ये झीलें असल में वे पानी की परतें हैं, जो हर राहगीर, हर पेड़ और हर इमारत की परछाईं को खुद में समेटे होती हैं।
इन पानी से भरे गड्ढों में जब कोई चलता है, तो उसकी परछाईं हिलती है, काँपती है, और फिर स्थिर हो जाती है — मानो कोई कलाकार हर पल एक नई पेंटिंग बना रहा हो। चमचमाती सड़कों पर खड़े स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी जब इन परछाइयों से टकराती है, तो लगता है जैसे पानी में कोई सजीव दृश्य चल रहा हो।
बच्चों के लिए यह एक खेल होता है, तो फोटोग्राफरों के लिए एक सुनहरा मौका। कई शौकिया और पेशेवर फोटोग्राफर इन परछाइयों में जिंदगी के रंग तलाशते हैं — बारिश में भीगती साइकिल, छतरी लिए खड़ा एक व्यक्ति, या सड़क किनारे खड़ा कोई पेड़… सब कुछ एक नई दृष्टि से दिखता है।
ये परछाइयाँ केवल दृश्य नहीं, बल्कि भावनाओं का प्रतिबिंब भी हैं। वे दिखाती हैं कि बारिश सिर्फ गीला करने नहीं आती, वह शहर को आइना भी थमा जाती है — जिसमें हर कोई खुद को किसी नए रूप में देख सकता है।
अगली बार जब आप बारिश के बाद की सड़क पर चलें, तो ज़रा ठहरिएगा — और झुककर देखिएगा — शायद आप अपनी सबसे खूबसूरत तस्वीर वहीं देख पाएं… पानी में, परछाईं की शक्ल में।
—