“जहां दवा, वहां फार्मासिस्ट” का संकल्प लिए MPPA शहडोल टीम स्वास्थ्य सेवा में ला रही नई क्रांति

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2016 में जबलपुर से शुरू हुआ MP फार्मासिस्ट संगठन आज बना लाखों फार्मासिस्टों की आवाज़, शहडोल में संगठन की नई ऊर्जा



शहडोल, मध्यप्रदेश।

पत्रकार विनय की रिपोर्ट (8349627682)

मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में वर्षों से सक्रिय फार्मासिस्ट समुदाय अब संगठित रूप से अपनी भूमिका को और भी प्रभावी बना रहा है। MP फार्मासिस्ट एसोसिएशन (MPPA), जिसकी शुरुआत 2016 में जबलपुर से हुई थी, आज राज्यभर में फार्मासिस्टों की आवाज़ बन चुका है। संगठन का मुख्य उद्देश्य है— “जहां दवा, वहां फार्मासिस्ट” के सिद्धांत पर चलते हुए समाज को सुरक्षित और सुलभ स्वास्थ्य सुविधा देना।

टीम MPPA शहडोल ने भी अब कमान संभाल ली है। जिले में संगठन ने हाल ही में अपने सक्रिय कार्यों की शुरुआत की है और जल्द ही प्रशिक्षण कार्यक्रमों, स्वास्थ्य शिविरों, स्वच्छता अभियानों, और सामाजिक जागरूकता गतिविधियों की श्रृंखला शुरू होने वाली है।



फार्मासिस्टों की प्रमुख मांगें:

सरकारी अस्पतालों में नियमित फार्मासिस्ट की भर्ती

किराए के लाइसेंस पर चल रही दुकानों में वास्तविक फार्मासिस्ट की नियुक्ति

बिना लाइसेंस के चल रही मेडिकल दुकानों पर रोक

प्रतिबंधित और नशीली दवाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही

हर उस स्थान पर फार्मासिस्ट की अनिवार्य उपस्थिति जहाँ दवा उपलब्ध है


जमीनी हकीकत:

शहडोल जिले के कई सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में आज भी फार्मासिस्टों की भारी कमी है। जहां फार्मासिस्ट नियुक्त हैं भी, वहां उनकी नियमित उपस्थिति सुनिश्चित नहीं है। इससे स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है।

प्रशासन से अपील और आंदोलन:

MPPA ने समय-समय पर शासन को ज्ञापन सौंपा है और मांगों को लेकर आंदोलन भी किए हैं। संगठन का कहना है कि जब तक फार्मासिस्टों को उचित सम्मान और स्थान नहीं मिलेगा, तब तक राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था अधूरी रहेगी। खासकर ग्रामीण इलाकों में झोला छाप डॉक्टरों द्वारा हो रही चिकित्सा से मरीजों की जान खतरे में पड़ती है। संगठन मांग कर रहा है कि फार्मासिस्टों को प्राथमिक इलाज की सीमित मान्यता देकर स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया जाए।

कोरोना काल में निभाई थी अगली पंक्ति की भूमिका:

कोरोना महामारी के दौरान फार्मासिस्टों ने न सिर्फ दवाओं की आपूर्ति संभाली, बल्कि कई जगहों पर स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी को पूरा किया। लेकिन कार्यकाल पूरा होते ही उन्हें हटा दिया गया, जबकि कई फार्मासिस्टों ने सेवा देते हुए अपनी जान गंवा दी।

जनता और मीडिया से सहयोग की अपील:

टीम MPPA शहडोल मीडिया और आमजन से अपील करती है कि वे इस अभियान में साथ दें ताकि फार्मासिस्टों की आवाज़ सरकार तक पहुंचे और स्वास्थ्य व्यवस्था को नया आयाम मिले।





MPPA का संदेश स्पष्ट है — “स्वास्थ्य सेवा में सुधार तभी संभव है जब फार्मासिस्ट को उचित अधिकार और सम्मान मिले।”
टीम शहडोल इस दिशा में पहला कदम बढ़ा चुकी है, अब बारी शासन और समाज की है।



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