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🚨 रेलवे की मदद से जीवनदायिनी रेस्क्यू!
रेल दुर्घटना में घायल नंदी को मिली नई ज़िंदगी, अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान ने दिखाई अद्भुत सेवा भावना
शहडोल, 15 जुलाई 2025 | पत्रकार विनय की रिपोर्ट (8349627682)
रेल की पटरियों पर तड़पती एक बेज़ुबान जान और इंसानियत की मिसाल बनते कुछ समर्पित लोग — आज शहडोल ज़िले के अड़ना नदी क्षेत्र में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने मानवता को गर्व से भर दिया।
दरअसल, बीते 4-5 दिनों से एक नंदी रेल दुर्घटना में घायल होकर असहाय अवस्था में पड़ा था। यह सूचना कुछ युवाओं द्वारा मिली जो वहाँ सेल्फी लेने पहुंचे थे। जैसे ही यह खबर अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान को मिली, संस्थान के सेवाभावी कार्यकर्ताओं ने बिना देर किए जान की परवाह किए बगैर रेस्क्यू के लिए निकलने का निश्चय कर लिया।
बिना रास्ते, बिना साधन… फिर भी नहीं रुकी सेवा
वर्तमान में तीसरी रेलवे लाइन का निर्माण कार्य चल रहा है और बारिश ने रास्तों को कीचड़ व अवरोध से भर दिया है। वाहन मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध था — लगभग 2 किलोमीटर तक कोई पक्का रास्ता नहीं था। लेकिन जब नीयत में सेवा और हृदय में श्रद्धा हो, तो कठिनाई भी राह दिखा देती है।
रेलवे बनी जीवन रक्षक – यूटिलिटी रेल से हुआ चमत्कारी रेस्क्यू
संस्थान ने भारतीय रेल की एक यूटिलिटी रेल से सहायता की गुहार लगाई। दिल छू लेने वाला दृश्य तब सामने आया जब रेलवे कर्मियों ने मानवीयता दिखाते हुए रेल को रोक दिया। घायल नंदी को सावधानीपूर्वक रेल पर चढ़ाया गया और संस्थान परिसर के पास ही रेल को दोबारा रोका गया।

सेवकों ने नंदी को अपने कंधों पर उठाकर संस्थान तक पहुँचाया। यह दृश्य मानो श्रावण मास की एक पवित्र कांवड़ यात्रा जैसा प्रतीत हुआ — जहाँ भोलेनाथ को जल नहीं, एक घायल प्राणी की सेवा अर्पित की गई।
“रेलवे के सहयोग से यह रेस्क्यू संभव हो पाया” – संस्थान ने जताया आभार
संस्थान के सदस्यों ने भारतीय रेलवे के इस सहयोग के लिए गहरा आभार व्यक्त किया और कहा कि रेल हादसों में रेस्क्यू बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन जब मानवता साथ हो तो कोई बाधा बड़ी नहीं होती।
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🐂 घायल नंदी की स्थिति अब स्थिर
संस्थान में नंदी का उपचार जारी है और फिलहाल वह सुरक्षित है। चिकित्सकों की निगरानी में उसकी सेवा की जा रही है।
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“जहाँ संवेदना होती है, वहाँ रास्ते भी बन जाते हैं।”
अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान द्वारा किया गया यह साहसिक रेस्क्यू एक उदाहरण है कि जब सेवा का भाव सर्वोपरि हो, तो प्रकृति भी सहयोग करती है।