तालाब नही होंगे अतिक्रमण मुक्त तो कैसे होगा जल संरक्षण और संवर्धन।

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यस न्यूज प्रतिनिधि शिवानन्द द्विवेदी कि रिपोर्ट।

उमरिया जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमिटर की दूरी पर भरेवा पंचायत अंतर्गत दरबार गांव आता है ,सूत्रों कि माने तो 5 एकड़ का रकबा राजस्व अभिलेख में दर्ज है,लेकिन वास्तु स्थिति देखने पर कुछ और ही प्रतीत होती है,अब जरूरत है तो राजस्व विभाग की उसका सीमांकन कर राजस्व अभिलेख में दर्ज जमीन को तालाब के लिए सुरक्षित रखा जा सके।
समय समय पर सामाजिक कार्यकर्ता संतोष तिवारी,शिवानन्द द्विवेदी द्वारा तालाबों में हो रहे अतिक्रमण के मुद्दे को लेकर आवाज उठाई गई लेकिन प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।
गौरतलब हो की जल संरक्षण को लेकर सरकार और प्रशासन के द्वारा अच्छी पहल की जा रही है लेकिन तालाबो तक जल स्रोतों को पहुंचने की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
जल भराव को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक क्या कदम उठाते है।जल भराव होगा तभी जल संवर्धन होगा।
अब यदि आवश्यकता है तो मानसून के पहले समुचित रूप से वर्षा के जल को तालाब तक पहुंचाने की है, क्योंकि जल संरक्षण को लेकर ग्राम पंचायतो को अच्छा खासी राशि भी स्वकृति हुई है। उसका कितना जल संरक्षण में प्रभाव दिखता है।
यह स्थित किसी एक तालाब की नही यदि राजस्व विभाग सक्रिय हो तालाबों का सीमांकन करे तो तालाबों में हो रहे अतिक्रमण और भू माफियाओं के काले करनामो का निश्चित रूप से खुलासा हो सकता है।
लेकिन तालाबो को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका भूमाफिया तालाबो के अस्तित्व को ही समाप्त करते जा रहे हैं ।
आखिरकार इसका जिम्मेदार कौन है समय समय पर शोसल मीडिया और समाचार पत्रो में खबरें भी प्रकाशित होती रही है लेकिन स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक ही बना रहा है तालाब अपने अस्तित्व को खोते जा रहे हैं प्रशासन पस्त है भूमाफिया मस्त है आखिरकार ऐसे भू माफियाओ को किनका संरक्षण प्राप्त है जिससे तालाबो को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा रहा है यह तो देखने वाली बात होगी कि तालाब अतिक्रमण मुक्त हो जाएंगे या इसी तरह चलता रहेगा यह तो वक्त ही तय करेगा।
लेकिन नए मुख्यमंत्री डा मोहन यादव नमामि गंगे योजना के अंतर्गत जल संवर्धन हेतु ज्यादा संवेदन शील है। उन्होंने अपने कार्यक्रमों कई बार कहा की ..जल है तो कल है।
तालाबो को कब तक अतिक्रमण मुक्त कराया जाता है ।
राजस्व विभाग को मुख्य मंत्री द्वारा आदेश तो दिया गया लेकिन कार्यवाही कब तक होती है कि आदेश सिर्फ फाइल तक ही सीमित रहेगा ।
यदि आदेश का पालन नहीं होता तो, कही न कही स्थानीय प्रशासन का मौन संरक्षण प्रतीत होता दिखाई पड रहा है जो जांच का विषय है जबकि समाचार पत्रों एवं सोसल मीडिया पर खबरों का कई बार प्रकाशन भी हुआ लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई हैअब देखना होगा कि शासन के इस आदेश का राजस्व अमले पर क्या प्रभाव पड़ता है।
जिले के तालाब अतिक्रमण मुक्त करा पाते है की भू माफियाओं के आगे राजस्व विभाग नत मस्तक हो जाता हैं की कार्यवाही कर्ता है।


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