*स्कूल के नाम पर किताबों का महंगा सेट**
उमरिया, म.प्र. —
नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ ही निजी स्कूलों और प्रकाशकों की मिलीभगत से अभिभावकों की जेब पर डाका डालने का खेल फिर शुरू हो गया है। स्कूल का नाम बताते ही दुकानदार अभिभावकों को कॉपी-किताब का सेट थमा देते हैं, जिसमें एनसीईआरटी की किताबें नदारद हैं और निजी प्रकाशकों की किताबें बेची जा रही हैं।
कॉपी-किताबों की कीमत पर निजी स्कूलों का नियंत्रण:
जिले और पाली शहर के बाजारों में कक्षा सातवीं के किताबों का सेट लगभग 3650 रुपये में बेचा जा रहा है, जिसे निजी स्कूलों और प्रकाशकों की मिलीभगत से तय किया गया है। सीबीएसई स्कूलों के लिए भी निजी प्रकाशकों की किताबें 10 गुना महंगी बेची जा रही हैं, जिससे किताबों का व्यापार लाखों रुपये तक पहुंच जाता है।




अन्य जिलों में कलेक्टरों की सख्ती:
कई जिलों के कलेक्टरों ने निजी स्कूलों द्वारा महंगी किताबों की बिक्री पर रोक लगाई है। अब देखना यह है कि उमरिया के कलेक्टर इस पर क्या कार्रवाई करते हैं, या निजी स्कूल इसी तरह अभिभावकों की जेब काटते रहेंगे।
संवाददाता की राय;
प्रवीण तिवारी, पाली—यह स्थिति अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है। शिक्षा का व्यवसायीकरण समाज के लिए घातक है और प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। अगर जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए, तो शिक्षा का यह व्यापार और अधिक फैलता जाएगा।
