पत्रकार शुभम तिवारी रीवा
स्वच्छता ही सेवा
रीवा वन विभाग के प्लांटेशन हुए प्लास्टिक मुक्त, प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल हेतु स्क्रैप डीलर को बेचा, प्राप्त राशि से उत्कृष्ट वनकर्मियों के लिए मंगाई विशेष जैकेट्स

अधिकांशतः पौधा रोपण करने के उपरांत बचे काली प्लास्टिक पॉलीबैग्स कचरे पर कोई ध्यान नहीं देता, और इसको इधर उधर फेंक दिया जाता है या जला दिया जाता है। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है, जिसके कई दूरगामी परिणाम होते हैं। उदाहरण के तौर पर, प्लास्टिक कचरा समय के साथ छोटे छोटे टुकड़ों में टूटता रहता है, और माइक्रो प्लास्टिक का रूप ले लेता है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों और रिपोर्ट के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक आज हमारी खाद्य श्रृंखला और रक्त में भी पाए जाने लगे हैं।
रीवा वन विभाग ने इस वर्ष जुलाई अगस्त माह में वनक्षेत्रों में लगभग 5 लाख पौधों का रोपण किया था, जिनसे 5 लाख प्लास्टिक पॉलीबैग्स का कचरा निकला। पहले इसको या तो जला दिया जाता था, या गड्ढा खोद कर दबा दिया जाता था, या फिर नदी/नालों में बहा दिया जाता था। परंतु इस वर्ष रोपण क्षेत्रों के प्रभारी वनकर्मियों ने इन प्लास्टिक बैग्स के कचरे का संग्रहण किया। आवश्यकतानुसार इस प्लास्टिक कचरे को साफ करके पत्थर, कंकड़ एवं मिट्टी हटाई।
इस तरह से कुल 5930 किलोग्राम प्लास्टिक कचरे का संग्रहण हुआ, जिसका शुद्ध प्लास्टिक वजन 4371 किलोग्राम पाया गया। पूरे प्लास्टिक कचरे को स्क्रैप डीलर (कबाड़ी वाले) को ₹12 प्रति किलोग्राम की दर से बेचा गया। इससे कुल ₹52,452/- राशि प्राप्त हुई। इस पहल का यह मौद्रिक आंकड़ा भले ही छोटा लगे, लेकिन इसका सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव बहुत बड़ा है। इससे न सिर्फ रोपण क्षेत्रों का पर्यावरण (जल, मृदा, भूमि) स्वच्छ रहेंगे, साथ ही इस प्रयास से 26,000 किलोग्राम से अधिक कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन भी वातावरण में जाने से बचा।